Coronavirus: क्या है आरटी-पीसीआर और एंटीजन टेस्ट, कब पड़ती है जरूरत

punjabkesari.in Tuesday, Sep 15, 2020 - 10:10 AM (IST)

कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। भारत में भी कोरोना मरीजों का आकंड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है। हालांकि इसका एक कारण यह भी है कि देश में लोगों की जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है। पहले जहां सिर्फ 2-3 दिन में जांच के नतीजे आते थे वहीं अब आरटी-पीसीआर, ट्रू नेट और रैपिड एंटीजन टेस्ट के जरिए कुछ देर में ही कोरोना वायरस होने का पता चल जाता है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह टेस्ट और कब पड़ती है इसकी जरूरत।

1) आरटी- पीसीआर टेस्ट

आरटी- पीसीआर टेस्ट के जरिए वायरस का जेनेटिक मटीरियल (RNA) की जांच होती है। टेस्ट के लिए स्वैब के जरिए नाक व गले के तालू से सैंपल लिया जाता है, जिसका रिजल्ट करीब 12 से 16 घंटे के अंदर आ जाता है। टेस्टिंग की एक्यूरेसी करीब 60% है। कई बार संक्रमण होने के बाद भी टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव आ सकता है।

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2) रैपिड एंटीजन टेस्ट (रैट)

रैपिड एंटीजन टेस्ट में स्वैब के जरिए नाक से सैंपल लेकर संक्रमण का पता लगाया जाता है। इसका रिजल्ट आने में 20 मिनट का समय लगता है। वहीं इसकी एक्यूरेसी 100% है यानि अगर कोई पॉजिटिव है तो रिजल्ट सही आएगा। हालांकि 30-40 % मामलों में इसका रिजल्ट गलत भी रहा।

3) ट्रू नेट टेस्ट

ट्रू नेट एक न्यूक्लिक एम्प्लीफाइड स्क्रीन टेस्ट है, जो मशीन के द्वारा किया जाता है। टीबी व HIV की जांच भी इसी तरह की जाती है। इसके लिए नाक या गले से लेकर वायरस के न्यूक्लियिक मटीरियल को ब्रेक किया जाता है और फिर इसके DNA और RNA की जांच होती है, जिसमें 3 घंटे का समय लगता है। इसकी एक्यूरेसी  60 से 70% तक है।

4) एंटीबॉडी टेस्ट

यह टेस्ट कोरोना संक्रमण होने के बाद किया जाता है, जिससे मरीज के शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी का पता चलता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, कोरोना से ठीक होने के बाद 9 से 14वें दिन तक मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। इसके लिए खून की जांच की जाती है, जिसमें 1 घंटा लगता है।

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कब करवाना चाहिए RT-PCR, रैपिड एंटीजन टेस्ट? 

एक्सपर्ट के मुताबिक, कंटेनमेंट जोन या कोरोना के रैड एरिया में रहने वाले लोगों को RT-PCR करवाना चाहिए। वहीं अगर कोरोना जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो खुद को आइसोलेट करके हेल्पलाइन पर कॉल करें।

क्या कोरोना से ठीक हुए लोग कर सकते हैं प्लाज्मा दान? 

जी हां, दरअसल कोरोना से ठीक हुए मरीजों के शरीर में ऐसी एंटी-बॉडी बनती है जो दूसरे मरीज के इलाज में मददगार हो सकती है। मगर, कोरोना से ठीक हुए मरीज करीब 1 महीने बाद ही प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।

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Content Writer

Anjali Rajput

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