रिया पर दर्ज हुआ NDPS एक्ट केस, जानिए इस कानून में क्या है अपराध की सजा?
punjabkesari.in Tuesday, Sep 01, 2020 - 07:24 PM (IST)
सुशांत केस में रिया की ड्रग चैट सामने आने के बाद सीबीआई, ईडी के साथ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) भी जांच में जुट गई है। खबरों की मानें तो रिया पर ड्रग डिलिंग करने और देने के आरोप में एनसीबी ने आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है। अब ये एनडीपीएस एक्ट क्या है, इस एक्ट में किन दवाइयों पर प्रतिबंध लगा है और इसमें किस तरह की सजा मिलती है, इसके बारे में आज हम आपको जानकारी देंगे।
क्या है एनडीपीएस एक्ट
- एनडीपीएस एक्ट नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने और उन्हें बेचने को लेकर बनाया गया एक कानून है। एनडीपीएस एक्ट का पूरा नाम नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 है। इसके नाम में ही दो तरह की दवाओं के नाम शामिल है-नारकोटिक और साइकोट्रोपिक।
- साल 1985 में संसद ने इस बिल को पास किया था। कुछ नशीले पदार्थों का उत्पादन बेहद जरूरी होता है। लेकिन इन पर सख्त निगरानी रखने को लेकर सरकार ने एनडीपीएस एक्ट बनाया।
- तीन बार यानि 1988, 2001 और 2014 में इस कानून में बदलाव किया गया है।
इस एक्ट के तहत किन दवाओं पर लगा है बैन
- इस एक्ट के तहत केंद्र सरकार प्रतिबंधित दवाओं की एक लिस्ट जारी करती है। जिसमें समय-समय पर बदलाव होता रहता है।
- इस एक्ट के नाम में दो तरह की दवाइयों के नाम शामिल है। पहला नारकोटिक जिसका मतलब होता है नींद आने वाला ड्रग।
- नारकोटिक में प्राकृतिक चीजों दवाएं या पदार्थ बनाए जाते हैं। जैसे- गांजा, अफीम, चरस, कोकेन आदि।
- दूसरी दवाई साइकोट्रोपिक, जो इस एक्ट के नाम में शामिल है। साइकोट्रोपिक का मतलब होता है दिमाग पर असर डालने वाले एक तरीके का ड्रग। साइकोट्रोपिक में केमिकल की मदद से दवाईयों को तैयार किया जाता है। जैसे- एलएसडी, अल्प्राजोलम आदि।
कौन करता है एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई ?
वैसे तो इस एक्ट के तहस पुलिस भी कार्रवाई कर सकती हैं, इसके अलावा केंद्र और राज्यों में अलग से नारकोटिक्स विभाग बने होते हैं जोकि नशीले पदार्थों की तस्करी व अवैध चीजों पर अपनी नजर रखते है। इन नशीले पदार्थों की मामलों में सर्वोच्च जांच संस्था नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो करती हैं जोकि एक केंद्रीय एजेंसी है बता दे कि इस की स्थापना 17 मार्च, 1986 को हुई थी।
एनडीपीएस एक्ट में कैसी होती हैं सजाएं?
इस एक्ट के तहत तीन तरह की सजाएं होती हैं जोकि प्रतिबंधित पदार्थों की मात्रा के आधार दी जाती है।
- कम मात्रा में एक साल की सजा दी जाती हैं या फिर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर यह नहीं तो एक साल की जेल और 10 हजार रुपए का जुर्माना दोनों ही साथ होते हैं जिसको पूरा करने के बाद ही अपराध जमानती होता है। बता दें कि अगर यहीं गलती बार-बार हो को जमानत मिलना मुश्किल है।
- कमर्शियल क्वांटिटि के तहत 10 से 20 साल की सजा सुनाई जाती हैं। इस तरह के अपराध गैर जमानती होते हैं जिसमें किसी तरह से जमानत नहीं मिलती।
- वाणिज्यिक मात्रा के बीच की मात्रा हो तो 10 साल तक की सजा के साथ 1 लाख रुपए का जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है। इस मामले में जमानत मिलना या तो पकड़े गए नशीले पदार्थ या फिर पुलिस की धाराओं पर निर्भर होता है।
किन धाराओं में मिलती है सजा
- इस एक्ट में ड्रग्स की डिलिंग, किसी को जबरदस्ती ड्रग देना, ड्रग्स का कारोबार, अफीम की खेती करना, ड्रग्स लेना और इसके कारोबार में पैसा लगाने पर सजा दी जाती है।
- बार-बार अपराध करने पर पहले से डेढ़ गुना सजा दी जाती है। इसके अलावा एनडीपीएस एक्ट की धारा 31 (क) के तहत मृत्युदंड का भी प्रावधान है।
- अगर कोई व्यक्ति ड्रग्स की लत को छोड़ना चाहता है, तो उसे सेक्शन 64ए के तहत राहत दी जाती है। खुद सरकार उस व्यक्ति का इलाज करवाती है।
- इस एक्ट की धारा 36 के तहत स्पेशल कोर्ट में सुनवाई का प्रावधान भी है।
- इस एक्ट में कोका का पौधा जो कोकेन बनाने के काम आता है, गांजा और पोस्तका पौधा जिससे अफ़ीम बनाई जाती है। इन तीनों की खेती करने और आयात-निर्यात के लिए सरकार की इजाजत जरूरी है।