अब गोल्ड पर मीराबाई चानू की नजर, ओलंपिक पदक जीतने के लिए रही थी 2 दिन भूखी
punjabkesari.in Wednesday, Aug 04, 2021 - 04:53 PM (IST)
रियो ओलंपिक में हारने के बाद मीराबाई चानू ने हार नहीं बल्कि खुद को ट्रेन किया। नतीजन आज वह ओलंपिक पदक विजेता बन चुकी हैं। उनकी इस जीत के पीछे सिर्फ कड़ी मेहनत ही नहीं बल्कि उनके परिवार का सपोर्ट भी हैं। ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद मीराबाई चानू अब गोल्ड के लिए खुद को तैयार कर रही हैं।
गोल्ड जीतने की तैयारी में जुटी मीराबाई चानू
2016 में, मीराबाई को पहली बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के अपने सपने को साकार करने का मौका मिला। वह पदक नहीं जीत सकीं लेकिन वो निराशा नहीं हुई और ओलंपिक 2021 में सिल्वर जीता। उनका कहना है, “मेरे पास कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स हैं... और मुझे इन सभी इवेंट्स के लिए अच्छी तैयारी करनी है और क्यों नहीं? एक सच्चे खिलाड़ी की तरह चांदी का स्वाद चखने के बाद अब मेरी नजर सोने पर टिकी है।"
ओलंपिक पदक जीतने के लिए 2 दिन रही भूखी
मीराबाई चानू ने कहा कि वो अपने वजन को लेकर काफी टेंशन में थी। टोक्यो ओलंपिक प्रतियोगिता के पहले 2 दिन तक उन्होंने खुछ नहीं खाया, ताकि उनका वजन ना बढ़ जाए। उन्होंने अपने डाइट प्लान का सख्ती से पालन किया।
घर लौटी तो हुआ भव्य स्वागत
मीराबाई चानू 2 साल बाद अपने गांव नोंगपोक काकचिंग लौटी और परिवार से मिली, जो एक भावनात्मक क्षण था। मगर, इस बार ये और भी खास था। स्टार एथलीट मीराबाई चानू ने कहा कहा, “मुझे हर जगह से लोगों का बहुत प्यार और आशीर्वाद मिल रहा है। गर्मजोशी से स्वागत किया गया है। मुझे अपने परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर बात करने का मौका भी नहीं मिला। मैं 2 साल से घर नहीं आई थी लेकिन अब जब मैं कुछ हासिल करके लौटी हूं तो मेरा परिवार खुश व गौरवान्वित है। हर किसी ने मुझे वास्तव में अच्छा महसूस करवाया है।”
वजन को मेंटने रखना सबसे जरूरी: मीराबाई
पिज्जा का स्वाद लेने के बाद उन्होंने घर का बना खाना, चावल, सब्जी और करी खाई। मीराबाई कहती हैं, “सभी खिलाड़ियों के लिए स्वास्थ्य और फिटनेस स्तर बनाए रखना होता है, खासतौर पर प्रतियोगिता के दौरान। वेटलिफ्टिंग में एथलीट का वजन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हम कोई भी जोखिम नहीं उठा सकते। इसलिए मैं हेल्दी चीजें खाती हूं। हम स्वस्थ रहने और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए मांस खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। मैं दूध का भी सेवन करती हूं, और बाहर का या जंक फूड खाने से परहेज करती हूं। कभी-कभी मैं खुद भी खाना बनाती हूं, ताकि वजन 49kg से ऊपर ना जाए।”
बचपन में निर्धारित कर लिया था लक्षय
मीराबाई कहती हैं, “मेरे परिवार ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। मैं जो करना चाहती थी उन्होंने हमेशा मेरा साथ। मैंने बहुत कम उम्र में ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था और ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिता में पदक हासिल करने का संकल्प लिया था। मैं हमेशा उस रोमांच का अनुभव करना चाहती थी। जब तक मैं वह हासिल नहीं कर लेता जो मैं चाहता हूं, मैं इसे जारी रखूंगी।”