अनोखी परंपरा! ऐसी जगह जहां अपनी ही शादी में नहीं जाता दूल्हा

punjabkesari.in Monday, Oct 12, 2020 - 01:22 PM (IST)

जब भी शादी की बात की जाती है तो लोगों के मन में दूल्हा-दुल्हन का ही ख्याल आता है। शादी समारोह में दूल्हा हीरो होता है और उसकी दुल्हनिया हीरोइन लेकिन अगर हम आपको ऐसी शादी के बारे में बताएं जो दूल्हे के बिना होती है तो आप भी सोच में पड़ जाएंगे। अब बगैर दूल्हा आखिर कैसे शादी होगी? यह सोच आपके दिमाग में भी आ रही होगी। लेकिन भारत में एक ऐसी जगह है जहां दूल्हे के बगैर ही शादी की जाती है। तो चलिए आपको बताते हैं इस अनोखे रिवाज के बारे में। 

दरअसल हम बात कर रहे हैं गुजरात के छोटा उदयपुर की जहां अलग ही तरीके से शादीयां होती हैं। इस जिले के तीन गांव सुरखेड़ा, अंबाला और सनाड़ा में बिना दूल्हे के शादी होती है। दरअसल राठवा समाज में इस रीत से ही शादी की जाती है। वहीं अब आपके मन में यह ख्याल आ रहा होगा कि आखिर अगर दूल्हा नहीं होता तो फिर दुल्हन किसके साथ अपने ससुराल घर जाती है। 

PunjabKesari

यहां की परंपरा सच में हैरान करने वाली है। दरअसल यहां लड़की लड़की से ही शादी करती है। जी हां...दूल्हा घर बैठा अपनी होने वाली पत्नी का इंतजार कर रहा होता है और उसकी जगह घोड़ी चड़ती है दू्ल्हे की कंवारी बहन यानि दुल्हन की ननद। 

इस तरह होती है शादी

दूल्हे की बहन दूल्हे की जगह दुल्हन को लेने जाती है। इतना ही नहीं दूल्हे की बहन को भी दुल्हन की तरह ही सजाया जाता है। वह अच्छी तरह से पूरा शृंगार करती है। वरमाला की भी रस्म की जाती है जिसमें दुल्हन अपनी ननद को ही वरमाला पहनाती है और फिर ननद अपनी भाभी को। 

दूल्हे की हर रस्म निभाती है 

इतना ही नहीं दूल्हे की बहन दूल्हे की हर एक रस्म को निभाती है। वह अग्नि को साक्षी मानकर फेरे भी लेती हैं। और अपनी भाभी को अपने भाई के लिए ब्याह कर ले जाती है।

300 साल पुरानी है मान्यता

इस समाज के लोगों की मानें तो यह मान्यता तकरीबन 300 साल पुरानी है। ऐसा कहा जाता है कि इस गांव के सभी देव कंवारे हैं ऐसे में कोई लड़का शादी नहीं कर सकता है। इसलिए गांव वाले कुंवारे देव की पंरपरा को पूरी तरह से निभाते है और इसलिए लड़का दु्ल्हन को लेने नहीं जाता है। अगर लड़का शादी की रस्में करे या फिर वह मंडप में बैठे तो इन सब को अशुभ माना जाता है। यहां रहते लोगों का ऐसा भी मानना है कि अगर वह इस परंपरा को तोड़ेंगे तो देव नाराज हो जाएंगे। इतना ही नहीं यहां ऐसी भी मान्यता है कि इन सभी रीति रवाजों को तोड़ने से वंश आगे भी नहीं बढ़ता है। 

बहन को माना जाता है रक्षक 

PunjabKesari

इसी वजह से अपने भाई की रक्षा के लिए कुंवारी बहन अपने भाई के लिए यह सारी रस्में पूरी करती है।

ससुराल घर जाकर फिर होती है शादी 

बहन अपने भाई की सारी रस्में पूरी करके दुल्हन को घर ले आती है और ससुराल घर आकर दुल्हन का एक और बार विवाह किया जाता है और इस बार दुल्हन का विवाह अपने असल जीवनसाथी यानि दूल्हे के साथ होता है। दुल्हन और दूल्हा एक बार फिर से सारी रस्में दोबारा करते हैं। 

बहन का कुंवारा होना जरूरी 

PunjabKesari

अब इस परंपरा में एक बात यह जरूरी है कि दूल्हे की बहन का कुंवारा होना बेहद जरूरी है। अगर दूल्हे की कोई बहन कुंवारी नहीं है तो वह मामा की या चाचा की बहन को भेज कर यह सारी रस्में पूरी कर सकते हैं। 

दूल्हा देता है दहेज 

अक्सर हमारे समाज में दहेज देनी की प्रथा है जो कि गलत है लेकिन इस परंपरा की खास बात यह है कि यहां लड़की वालों को नहीं बल्कि लड़के वालों को दहेज देना पड़ता है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Janvi Bithal

Recommended News

Related News

static