बीकानेर में बिताने वाले हैं इस बार के Vacations तो इन जगहों पर जाना न भूलें
punjabkesari.in Sunday, Jun 12, 2022 - 04:57 PM (IST)
भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्य राजस्थान के थार रेगिस्चान में बीचों-बीच बना हुआ बीकानेर पर्यटकों के द्वारा पसंद की जाने वाली जगहों में से एक है। इसे राजस्थान का दिल कहते हैं। इतिहास के अनुसार, बीकानेर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी। महाभारत काल के दौरान इस शहर को जांगल देश के नाम से भी जाना जाता था। राजपुताना सभ्यता, संस्कृति और ऐतिहासिक किलों और पुराने हतिहासों के साथ घिरा हुआ है। अगर आप भी इस बार के वेकेशन्स बीकानेर में बीताने वाले हैं तो इन खूबसूरत जगहों पर जाना न भूलें। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में...
जूनागढ़ किला
आप बीकानेर के जूनागढ़ किले की सैर कर सकते हैं। इस किल के पहले चिंतामणि कहा जाता था। फिर 20 वीं सदी में इसका नाम बदलकर जूनागढ़ किला रक दिया गया था। इस किले की गैलरी, लॉन और खिड़कियां पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। बीकानेर की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक जूनागढ़ का किला भी है। यह किला वास्तुकला, मुगल, गुजराती और राजपूत शैली का सबसे अच्छा मिश्रण है।
गजनेर पैलेस
झील के किनारे पर स्थित बीकानेर के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक है। इसका निर्माण बीकानेर प्रांत के पूर्व शासक महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। पहले यह पैलेस शिकार करने और छुट्टियां बिताने के लिए एक लॉन्ज हुआ करता था। फिर 1976 में इसे एक होटल के रुप में बदल दिया गया था। यहां पर आप बोटिंग से लेकर रेगिस्तानी सफारी तक कई तरह की शानदार एक्टिवटी का आनंद ले सकते हैं। यह पैलेस आपको बिलियर्ड्स, लॉन टेनिस, साइकिलिंग, बर्ड वॉचिंग और वन्यजीव की सफारी जैसी मनोरंजक गतिविधियां प्रदान करता है।
रामपुरिया हवेली
राजस्थान खासकर अपने स्वादिष्ट खाने और हवेलियों के लिए जाना जाता है। बीकानेर की धनी व्यापारियों ने लगभग सौ वर्षों की अवधि में रामपुरिया हवेल का निर्माण किया था। दरवाजे से लेकर खिड़कियों तक हर छोटी से छोटी बात पर बहुत ही सोच-समझकर, साफ-सफाई का पालन किया गया है। यह हवेली खूबसूरत वास्तुकला का एक सुन्दर नमूना है। इसकी स्थापना रामपुरिया नाम के एक व्यापारी ने करवाई थी। उसी के नाम पर हवेली का नाम रखा गया था।
करणी माता मंदिर
इस मंदिर को नारी माता मंदिर और चूहा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह बीकानेर के देशनोक में स्थित है। यह मंदिर 600 साल पुराना है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर 25,000 काले चूहे रहते हैं और उनकी पूजा भी की जाती है। इन चूहों के द्वारा खाया गया खाना बहुत ही पवित्र माना जाता है। बाद में इसी खाने के प्रसाद के रुप में भी बांटा जाता है। इन चूहों को यहां पर कब्बा के रुप में जाना जाता है। दूर-दूर से लोग इन चूहों के दर्शन के लिए आते हैं ।
कैमल सवारी
आप यहां पर कैमल सवारी का आनंद भी ले सकते हैं। इस सवारी के जरिए आप थार रेगिस्तान के खूबसूरत और सुनहरे रेत के टीले देख पाएंगे। सर्दियों और गर्मियों में यहां पर अत्यधिक जलवायु होती है। इसके अलावा आप यहां पर रंगीन पगड़ी वाले पुरुष, मधुर संगीत, नृत्य के साथ संगीत से भरी शाम का आनंद भी ले सकते हैं। सूर्योदय या फिर सूर्यास्त के दौरान आप इस सफारी का आनंद ले सकते हैं। इस दौरान रेत कम गर्म होती है। आप मजे से कैमल सवारी का मजा ले सकते हैं।