50 प्लस महिलाओं के लिए Alert, पेशाब से बदबू आना है इस बीमारी का संकेत

punjabkesari.in Monday, Jun 02, 2025 - 06:01 PM (IST)

नारी डेस्क: मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) के बाद महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिनका असर उनके यूरेनरी ट्रैक्ट (मूत्र मार्ग) पर भी पड़ता है। इस कारण UTI (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि  थोड़ी सी सावधानी और स्वच्छता अपनाकर इससे बचा जा सकता है। यदि लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, देर करने पर संक्रमण किडनी तक पहुंच सकता है। चलिए समझते हैं इसके बारे में विस्तार से। 

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UTI क्यों होता है?

मेनोपॉज़ के बाद शरीर में एस्ट्रोजन (महिला हार्मोन) की मात्रा कम हो जाती है, जिससे योनि और मूत्र मार्ग की त्वचा पतली और शुष्क हो जाती है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। बार-बार पेशाब को रोकना मूत्र मार्ग में बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका देता है। योनि की प्राकृतिक नमी में कमी इसका सबसे बड़ा कारण है, इससे बैक्टीरिया आसानी से बढ़ सकते हैं। महिलाओं में गंदगी या बैक्टीरिया मूत्र मार्ग तक जल्दी पहुंच सकते हैं।


 रजोनिवृत्ति के बाद यूटीआई होना आम बात क्यों है?

 रजोनिवृत्त के बाद महिलाओं में यूटीआई बढ़ने का मुख्य कारण एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट है। यूरीनरी ट्रैक के ऊतकों को ठीक बनाए रखने में एस्ट्रोजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे-जैसे एस्ट्रोजन का स्तर घटता है, वैसे वैसे यूरेथ्रा (वह नली जिसके माध्यम से मूत्र शरीर से बाहर आता है) की परत अधिक पतली और अधिक नाजुक हो जाती है। इसके अलावा यूरेनरी ट्रैक में संक्रमण से लड़ने वाली रक्त कोशिकाएं कम हो जाती हैं और श्लैष्मिक (म्यूकोसल) प्रतिरक्षा भी कम हो जाती है। इससे स्थानीय प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे बैक्टीरिया के लिए संक्रमण फैलाना आसान हो जाता है। जीवन के इस चरण में अन्य कारक भी यूटीआई के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। जिन महिलाओं की यूरेनरी ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर हो गई हैं उनका ब्लैडर एक साथ पूरा खाली नहीं हो पाता जिससे मूत्र ब्लैडर में बचा रह जाता है और इससे वहां संक्रमण पैदा होने का खतरा होता है। 

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UTI से बचाव के जरूरी उपाय 

महिलाओं को साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पेशाब करने के बाद हमेशा आगे से पीछे की ओर सफाई करें। रोज़ाना हल्के साबुन से बाहरी जननांगों की सफाई करें। दिनभर में 8-10 ग्लास पानी पिएं ताकि मूत्र साफ रहे और बैक्टीरिया बाहर निकल जाएं। पेशाब की इच्छा को कभी न टालें, यह आदत आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। प्राकृतिक नमी बनाए रखें, डॉक्टर की सलाह से एस्ट्रोजन क्रीम का इस्तेमाल करें जो योनि की त्वचा को स्वस्थ रखती है। अंडरगारमेंट्स हमेशा सही जूज करें, कॉटन की पैंटी पहनें और रोज़ाना बदलें।योनि में डियोड्रेंट, स्प्रे या पाउडर का इस्तेमाल न करें। बार-बार UTI हो तो यूरिन कल्चर टेस्ट करवाएं और डॉक्टर की सलाह लें।


लक्षण जिन पर ध्यान देना जरूरी है 

-पेशाब करते समय जलन या दर्द

-बार-बार पेशाब आने की इच्छा

-पेशाब में दुर्गंध या रंग बदलना

-पेट के निचले हिस्से में दर्द या भारीपन

-हल्का बुखार (कुछ मामलों में)

इसका क्या है इलाज

डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं देते हैंञ कुछ मामलों में हल्के एस्ट्रोजन क्रीम भी दी जाती है। बार-बार संक्रमण होने पर यूरोलॉजिस्ट से सलाह ली जाती है।  रोजमर्रा की कुछ आदतें जैसे पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, यौन संसर्ग के बाद मूत्र त्याग करना, साफ सफाई बनाए रखना आदि यूटीआई को रोकने में मदद कर सकती हैं।
 


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vasudha

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