अगर बच्चा हो प्री-मैच्योर तो इस तरह रखें उसका ध्यान

punjabkesari.in Tuesday, Dec 08, 2020 - 02:00 PM (IST)

गर्भावस्था के दौरान महिला को अपनी सेहत का कुछ खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। ताकि बच्चे का सही तरीके से विकास होने के साथ ही डिलीवरी में किसी भी तरह की कोई परेशानी ना आए। बात अगर गर्भावस्था के चक्र की करें तो यह प्रक्रिया पूरे 9 महीने यानि 36-37 हफ्तों की होती है। ऐसे में बच्चा एकदम सही व तंदरुस्त पैदा होता है। मगर अगर शिशु समय से कुछ हफ्ते पहले पैदा हो जाए तो उसे प्री-मैच्योर बर्थ कहते हैं। ऐसे में इन नवजात को सेहत से जुड़ी परेशानियां हो सकती है। तो चलिए जानते हैं ऐसे शिशु की देखभाल के लिए किन चीजों का ख्याल रखना चाहिए। मगर उससे पहले जानते हैं प्री-मैच्योर बर्थ के कारण...

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वैसे तो इस बारे में डॉक्टरों द्वारा कोई खास कारण तो नहीं बताया गया है। मगर मां की सेहत शिशु पर अपना गहरा असर डालती है। ऐसे में अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिला अपना ठीक से ध्यान नहीं रखती है तो उसे सेहत के जुड़ी समस्याएं हो सकती है। इसतरह शरीर में कमजोरी के कारण प्री-मैच्योर डिलीवरी होने के चांचिस बढ़ते हैं। ऐसे में नवजात शिशु का विकास ठीक से ना होने पर ही उसका जन्म हो जाता है। इसके कारण उसकी खासतौर पर केयर करने पड़ती है। नहीं तो बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है। 

संक्रमण से बचाएं

जो बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं। उनके शरीर का पूरी तरह से विकास नहीं हुई होता है। ऐसे में उनकी इम्यूनिटी कमजोर होने से वे जल्दी ही बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इससे उन्हें बचाएं रखने के लिए शिशु के कमरे की सफाई का ध्यान रखें। उन्हें बार-बार छूने से बचें। साथ ही किसी को भी उनके कमरे में आने व उन्हें छूने ना दें। खासतौर पर बीमार व्यक्ति के पास उसे ले जाने से बचें। नहीं तो वे संक्रमित हो सकते हैं। 

मां का दूध सही

शिशु के लिए मां का दूध संपूर्ण आहार होता है। इसके सेवन से बच्चे को सभी जरूरी तत्व आसानी से मिल जाते हैं। ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से बीमारियों से बचाव रहता है। एक रिसर्च के मुताबिक भी प्री-मेच्योर शिशु के लिए मां का दूध बेस्ट होता है। 

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धूम्रपान वाली जगह पर शिशु को ना ले जाएं

गलती से भी शिशु को धूम्रपान वाली जगह व इसका सेवन करने वाले व्यक्ति के संपर्क में ना आने दें। इससे नवजात को सांस से जुड़ी समस्याएं हो सकती है।

अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम से करें बचाव 

यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें स्वस्थ बच्चे की भी जान जा सकती है। इसके पीछे का कारण शिशु को अधिक गर्मी व ठंड लगना  हो सकता है। इसके अलावा चादर, तकिया या किसी चीज से शिशु का मुंह और नाक कवर हो जाने के कारण बच्चे की सांस व दिल की धड़कन रूक सकती है। ऐसे में बच्चे की देखभाल को लेकर पेरेंट्स को बेहद सजग रहने की जरूरत होती है। 

तेल मसाज करें 

नवजात की मांसपेशियों व हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए उसकी तेल मसाज करें। इससे उसकी स्किन को नमी मिलने के साथ रिलैक्स फील होगा। 

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 ना करें डायपर का इस्तेमाल

नवजात के लिए डायपर की जगह नैपी का इस्तेमाल करें। असल में, प्री-मेच्योर शिशु की स्किन बहुत ही कोमल होती है। ऐसे में उसे घंटों डायपर पहनाने से रैशेज, लाल व सफेद दाने हो सकते हैं। इसलिए नवजात के लिए कॉटन की नैपी का इस्तेमाल करें। इसके अलावा शिशु के गीले नैपी को बार-बार चैक करते रहे। साथ ही जरूरत होने पर इसे तुरंत बदलें।

अच्छी नींद दिलाएं

बच्चे के लिए रोजाना 15 घंटे की नींद जरूरी होती है। इससे उसका बेहतर विकास होने के साथ बीमारियों से बचाव रहता है। ऐसे में बच्चे की नींद का खास ख्याल रखें। उसे ऐसे कमरे में रखें जहां एकदम शांति हो।

बच्चे को अधिक समय गोद में रखें

ठंड से बचाने के लिए बच्चे को ज्यादा से ज्यादा समय अपनी गोद में रखें। इससे उसका ठंड से बचाव होने के साथ मां के प्यार का अहसास होगा।


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Content Writer

neetu

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