अलविदा असरानी जी, हमेशा के लिए अधूरी रह गई मशहूर कॉमेडियन की यह इच्छा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 21, 2025 - 12:06 PM (IST)

नारी डेस्क: बॉलीवुड ने अपने कॉमेडी के दिग्गजों में से एक असरानी को खो दिया है, जिन्होंने पीढ़ियों को हंसाया। गोवर्धन असरानी, ​​जिन्हें प्यार से असरानी के नाम से जाना जाता था, का सोमवार को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पांच दशकों से भी अधिक समय तक हिंदी सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाए रखने वाले असरानी ने निश्चित रूप से हंसी और बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग पर आधारित एक अपूरणीय विरासत छोड़ी है।


असरानी अक्षय कुमार के साथ दो फिल्मों में नजर आने वाले थे।बीबीसी हिंदी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उन्होंने प्रियदर्शन की फिल्म भूत बंगला की शूटिंग कंप्लीट कर ली है, इसमें उनके साथ अक्षय कुमार, परेश रावल, तबू भी नजर आएंगे। उन्हाेंने अभी फैंस को और मनोरंजन करना था लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। उनके जाने का गम कोई भूला नहीं पाएगा। उनके मैनेजर बाबू भाई थीबा ने बताया कि दिग्गज अभिनेता ने जुहू के आरोग्य निधि अस्पताल में दोपहर 3 बजे अंतिम सांस ली। उसी शाम 8 बजे सांताक्रूज़ श्मशान घाट पर विद्युत शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया।


1 जनवरी, 1940 को जयपुर में जन्मे असरानी एक मध्यमवर्गीय सिंधी परिवार में पले-बढ़े। उनके पिता कालीन का व्यवसाय करते थे, लेकिन युवा गोवर्धन की व्यापार में कोई रुचि नहीं थी। इसके बजाय, उन्होंने प्रदर्शन कलाओं में अपना करियर बनाया। उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में राजस्थान कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, साथ ही जयपुर में एक वॉयस आर्टिस्ट के रूप में काम करके अपना खर्च भी चलाया। कॉलेज के दिनों में ही असरानी का अभिनय के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा था। 1960 से 1962 तक, उन्होंने 'साहित्य कलाभाई ठक्कर' से प्रशिक्षण लिया और 1964 में पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) में दाखिला लिया। इस फैसले ने जल्द ही उनके जीवन की दिशा तय कर दी।


असरानी ने 1967 में 'हरे कांच की चूड़ियां' से अपनी शुरुआत की, जहां उन्होंने अभिनेता बिस्वजीत के दोस्त की भूमिका निभाई। हिंदी सिनेमा में अपनी जगह बनाने से पहले, उन्होंने कई गुजराती फिल्मों में मुख्य अभिनेता के रूप में काम किया। इसके बाद उनका करियर एक ऐसा करियर बना जिसकी बराबरी बॉलीवुड के इतिहास में कम ही लोग कर पाते हैं; विभिन्न शैलियों, पीढ़ियों और युगों में 350 से ज़्यादा फ़िल्में। हालाँकि वे गंभीर और सहायक भूमिकाएँ समान रूप से सहजता से निभा सकते थे, लेकिन उनकी हास्य शैली ने उन्हें प्रशंसकों का पसंदीदा बना दिया।1970 से 1990 के दशक तक, असरानी बड़े पर्दे पर एक जाना-पहचाना चेहरा थे, एक ऐसे अभिनेता जो छोटे से दृश्य को भी प्रभावशाली बना सकते थे।


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vasudha

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