नई थैरेपी ने किया चमत्कार, ब्लड कैंसर से जूझ रही बच्ची को खींच लाई मौत के मुंह से

punjabkesari.in Friday, Dec 23, 2022 - 06:20 PM (IST)

शरीर में खून की कमी, तिल्ली (स्प्लीन) का बढ़ना, लिम्फोसाइट काउंट बढ़ने की समस्या आम देखने को मिल रही है। यह  ल्युकिमिया ब्लड कैंसर का एक प्रकार है। इस घातक बीमारी से ग्रसित मरीजों के बोन मैंरो से सामान्य कोशिकाओं की जगह कैंसर कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है।   यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन बच्चे इसका ज्यादा शिकार होते हैं। 13 साल की लड़की भी इस बीमारी से जंग  लड़ रही थी, जिसमें उसे जीत भी मिल गई है।


  6 साल पहले हुआ इस तकनीक का आविष्कार

ब्रिटेन में डॉक्‍टरों ने एक थैरेपी की मदद से इस बच्ची को नई जिंदगी दे दी है। इस बच्‍ची का नाम अलाइशा है जो  2021 से टी-सेल तीव्र ल्‍यूकिमिया से पीड़‍ित थी।  लंदन के ग्रेट ऑरमोन्‍ड स्‍ट्रीट हॉस्पिटल फॉर चिल्‍ड्रेन (GOSH) में इस बच्‍ची को भर्ती कराया गया था, जहां नई तकनीक के साथ उसका इलाज किया गया। इस बच्ची का इलाज बेस एडिटिंग (Base Editing) नामक तकनीक के जरिए किया गया, जिसका  आविष्कार केवल 6 साल पहले ही किया गया था। 

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शुरू में ही ठीक होने लगा कैंसर

छह महीने तक इस थैरेपी से ही बच्‍ची का इलाज किया गया था। बताया जाता है कि थैरेपी शुरू होने के 28 दिनों के अंदर ही  कैंसर ठीक होने लगा था।  अब छह महीने बाद वह पूरी तरह से स्‍वस्‍थ है और बाकी बच्चों की तरह नॉर्मल जिंदगी जी रही है। हालांकि बीच- बीच में उसका चेकअप भी किया जाता है। यह कैंसर इतना खतरनाक था कि कीमोथैरेपी और बोन-मैरो ट्रांसप्लांट की मदद से भी इसे निकाला नहीं जा सकता था, ऐसे में  एलिसा  के केस में इस थैरेपी की मदद ली गई 

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 अलाइशा भी छोड़ चुकी थी उम्मीद

डॉक्टरों ने फैसला किया कि लड़की को बचाने के लिए रिवोल्यूशनरी थेरेपी की का इस्तेमाल किया जाएगा और वह इसमें कामयाब भी रहे। बताया गया कि जब बच्ची के परिवार को  इस बेस एडिटिंग थेराप्यूटिक ट्रीटमेंट के बारे में बताया गया, तो वह सोच में पड़ गए थे। काफी सोचने के बाद उन्होंने इसके लिए हां कहा था। अलाइशा का भी मानना था कि वह मर जाएगी लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था।

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क्या है ल्यूकेमिया

खून का कैंसर (ल्यूकेमिया) बच्चों और किशोरों में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। अमेरिका में हर साल लगभग 3500- 4000 बच्चों को खून का कैंसर हो जाता है, और भारत में हर साल लगभग 12000 बच्चों में यह बीमारी पाया जाता है। यह बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहां खून बनता है) के ठीक से काम न करने पर होता है। खून का कैंसर (ल्यूकेमिया) से पीड़ित रोगी में, खून बनाने वाली कोशिकाएँ ठीक तरह से परिपक्व नहीं होती हैं। खून में बहुत सारे अपरिपक्व रक्त कोशिकाएँ या खून का कैंसर (ल्यूकेमिया) कोशिकाएं बनती है।

 

ल्यूकेमिया के प्रकार के आधार पर लक्षण भिन्न हो सकते हैं। ल्यूकेमिया के कुछ सामान्य संकेत और लक्षण इस प्रकार है:-

थकान या कमजोरी
वजन घटना
संक्रमण
बुखार या ठंड लगना
हड्डियों में दर्द 
त्वचा पर  धब्बे
नाक से अत्यधिक ब्लीडिंग या चोट लगना


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Content Writer

vasudha

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