सावधान! ज्यादा अपेक्षाएं , पढ़ाई का दबाव बना रहा आपके बच्चे को Psychotic...जानिए लक्षण

punjabkesari.in Friday, May 10, 2024 - 03:09 PM (IST)

क्या आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, बात- बात पर चिल्लाता या झगड़ा करता है तो हो सकता है वो डिप्रेशन से जूझ रहा हो। जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने। बिजी लाइफस्टाइल और वर्किंग पैरेंट्स के बच्चे ज्यादातर इस मानसिक बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। बच्चों को समय न दे पाना इसकी वजह बन सकता है। 

PunjabKesari

क्या होता है सायकोटिक डिप्रेशन

सायकोटिक डिप्रेशन एक तरह का मानसिक रोग है जिसमें बच्चों हमेशा हीन भावना आती है। उन्हें हर वक्त ऐसा महसूस होता है कि वो किसी काम के नहीं है। ऐसे लोगों को लगता है कि वो अपने विचार सुन सकते हैं।

ये होते हैं सायकोटिक डिप्रेशन के लक्षण

-चिड़चिड़ापन
- बिना कारण दुखी होना
- छोटी- छोटी बातों पर गुस्सा आना
-नकारात्मक विचार
-बैचेनी 

 इसके अलावा अपने हम उम्र बच्चों से ईर्ष्‍या करना, स्कूल से शिकायतें आना और अकेलापन पसंद करना भी इसके प्रारंभिक लक्षण बताए जाते हैं।

PunjabKesari

ये भी हो सकती है वजहें

बिजी लाइफस्टाइल के चलते, खासकर के वर्किंग पैरेंट्स बच्चे को ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं। इससे बच्चे को अकेलापन का शिकार होते हैं और उनपर ये बुरा प्रभाव डालता है। इसके अलावा बच्चे को नहीं समझने, ज्यादा डांट-फटकार लगाना, जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं रखना आदि भी इसकी वजह हो सकते हैं। इसके अलावा पढ़ाई का आत्यधिक तनाव भी इसकी वजह बन सकता है। जैसे, बच्चे समय पर सिलेबस को पूर्ण नहीं कर पाते हैं। होमवर्क पूरा न होने अथवा नंबर कम आने की चिंता भी उन्‍हें बनी रहती है। होमवर्क पूरा न होने पर माता-पिता से तो डांट पड़ती ही है, स्कूल में टीचर की फटकार भी सुननी पड़ती है।

PunjabKesari

ऐसे हो सकता है सायकोटिक डिप्रेशन से बचाव

अगर बच्‍चों में इस तरह के लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। बच्चों पर सिलेबस और पढा़ई का इतना दबाव न बनाएं कि उनकी उम्र की उमंग और मस्‍ती ही खत्‍म हो जाए। पढ़ाई के अलावा उनकी अभिरूचि के एक्टिविटी, खेलकूद में भी उन्‍हें शामिल करें। बच्‍चों को क्‍वालिटी टाइम दें। बच्चों की छोटी-छोटी बातों को नकारे नहीं। उन्‍हें ध्‍यान से सुनें और बेहतर के लिए गाइड करें। पति-पत्‍नी दोनों अपने घर और ऑफि‍स का शेड़यूल ऐसे बनाएं कि बच्‍चे के लिए ज्‍यादा से ज्‍यादा समय निकाल सकें। उन्‍हें सिर्फ महंगे खिलौनों,  बड़े स्‍कूल और आपके पैसे की ही नहीं, आपके प्‍यार, मार्गदर्शन और सपोर्ट की भी जरूरत है। अगर जरूरत पड़े तो किसी अच्‍छे चाइल्‍ड काउंसलर या मनोचिकित्‍सक की भी सलाह लें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Charanjeet Kaur

Related News

static