इस जगह पर धरती चीरकर निकली थी मां काली की प्रतिमा, भक्तों की हर मुराद होती है पूरी

punjabkesari.in Saturday, Jun 17, 2023 - 03:09 PM (IST)

गोरखपुर शहर के गोलघर में स्थित मां काली के मंदिर की महिमा के बारे में दूर तक लोगों को पता है। कहते हैं कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता को पूजता है माता उसकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मंदिर के लोगों का रहना है कि मां काली की प्रतिमा जो की मंदिर के अंदर है वो धरती को चीर कर बाहर निकली थी। गोलघर का ये मंदिर मुख्यालय से करीब 1 किलोमीटर दूर है। सुबह मंदिर के पट खुलते ही मां के दर्शन को भक्तों की लंही कतार लग जाती है। वहीं बात अगर नवरात्र की करें तो मंदिर के आसपास मेले जैसा माहौल रहता है। पूजा के सामान और प्रसाद की दर्जनों दुकाने यहां पर हैं। भक्त दूर- दूर से आकर माता के दर्शन कर विधि- विधान से पूजा करते हैं और माता से अपनी झोली खुशियों और सुख से भरने की कामना करते हैं।

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काली मंदिर का इतिहास

सालों पहले गोलघर का पूरा क्षेत्र जंगल हुआ करता था, उसी जंगल में एक स्थान पर माता का मुखड़ा धरती चीरकर ऊपर निकला। जब धरती से मां का मुखड़ा निकलने की बात आस-पास के लोगों को पता चली तो यहां पर भीड़ जुट और लोगों ने पूजा- अर्चना करनी शुरू कर दी। श्रद्धालुओं की आस्था देखकर  बाद में यहां मंदिर का निर्माण कराया। तभी से प्रतिदिन मंदिर में पूजा होने लगी। पहले वहां जमीन से निकली प्रतिमा थी। बाद में वहां काली मां की एक बड़ी प्रतिमा लगवाई गई। प्रतिमा के ठीक सामने नीचे स्वयंभू काली मां का मुखड़ा आज भी वैसा ही है, जैसा जमीन से निकला था। काली मंदिर के पुजारी श्रवण सैनी का कहना है कि ऐसी मान्यता है कि गोलघर की काली माता बहुत सिद्ध हैं। ऐसा कहा जाता है कि सुबह, दोपहर और शाम में काली मां की प्रतिमा के स्वरूप में बदलाव होता है। यही कारण है कि उनसे सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। उन्होंने बताया कि मंदिर में भीड़ तो हमेशा रहती है, लेकिन नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर के आस पास मेले जैसा माहौल रहता है।

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भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं मां काली

काली मंदिर के पुजारी के अनुसार सुबह, दोपहर और शाम में काली मां की प्रतिमा के स्वरूप में बदलाव होता है। यही कारण है कि उनसे सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। यहां पर नवरात्र के दौरान भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। उस वक्त यहां आस पास मेले जैसा माहौल रहता है।

 


 


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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