फोन की नोटिफिकेशन सुनते ही तुरंत उठा लेते हो फोन? ये आदत कर रही है आपका दिमाग हाईजैक
punjabkesari.in Wednesday, Jan 15, 2025 - 08:32 AM (IST)
मोबाइल फोन में नोटिफिकेशन बेल्स की आवाज आजकल हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गई है। यह हमें हर छोटी-बड़ी जानकारी से जोड़ती है, लेकिन कई बार इनकी आवाज़ सुनते ही मन में चिंता या घबराहट का अहसास होने लगता है। अगर आप पर भी इन बेल्स से परेशान रहते हैं तो अपने फोन के उपयोग को सीमित करके और समय-समय पर ब्रेक लेकर आप अधिक शांत और तनावमुक्त महसूस कर सकते हैं। आइए जानते हैं चिंता को कम करने के आसान तरीके क्या हो सकते हैं।
नोटिफिकेशन बेल्स से चिंता क्यों होती है?
लगातार नोटिफिकेशन हमें अत्यधिक जानकारी से भर देते हैं। यह दिमाग को आराम करने का मौका नहीं देता, जिससे चिंता बढ़ सकती है। काम से जुड़े नोटिफिकेशन आने पर यह डर होता है कि कहीं कोई महत्वपूर्ण काम छूट न जाए। इससे तनाव बढ़ता है। कई बार यह डर सताता है कि अगर हमने कोई नोटिफिकेशन मिस कर दिया, तो हम कुछ महत्वपूर्ण चीज़ों से चूक सकते हैं। यह चिंता का एक बड़ा कारण है। बार-बार नोटिफिकेशन आने से ध्यान भंग होता है, जिससे मानसिक थकान और चिंता बढ़ सकती है।
चिंता कम करने के सरल उपाय
केवल उन्हीं ऐप्स की नोटिफिकेशन ऑन रखें, जो वास्तव में जरूरी हैं। बाकी की नोटिफिकेशन को बंद कर दें। काम या आराम के समय डू नॉट डिस्टर्ब मोड का उपयोग करें। इससे अनावश्यक नोटिफिकेशन से बचा जा सकता है। दिन में एक या दो बार ही नोटिफिकेशन चेक करने की आदत डालें। इससे हर बार फोन देखने की जरूरत कम हो जाएगी। नियमित व्यायाम से मानसिक तनाव और चिंता को कम किया जा सकता है। योग और ध्यान भी इसमें मददगार हो सकते हैं।
सोशल मीडिया ब्रेक
समय-समय पर सोशल मीडिया से ब्रेक लें। यह मानसिक शांति के लिए आवश्यक है। सोने से पहले फोन को अपने पास न रखें। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार होगा और चिंता कम होगी। नोटिफिकेशन की आवाज़ हमें सूचना की अति, काम के दबाव, FOMO, और ध्यान भटकने के कारण चिंतित कर सकती है। नोटिफिकेशन को सीमित करने, डू नॉट डिस्टर्ब मोड का उपयोग करने, और नियमित फिजिकल एक्टिविटी से इस चिंता को कम किया जा सकता है।
नोमोफोबिया का शिकार हो रहे लोग
नोमोफोबिया (Nomophobia) एक आधुनिक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को मोबाइल फोन के बिना रहने या उससे अलग होने का अत्यधिक डर और चिंता होती है। "नोमोफोबिया" शब्द "नो-मोबाइल-फोन-फोबिया" से बना है, जिसका अर्थ है मोबाइल फोन न होने का डर। एक्सपटर्स का कहना है कि कि दिन-रात फोन पर बिताए गए समय की वजह से लोग एक दायरे में बंध जाते हैं। फोन ही उन्हें वास्तविक दुनिया लगती है। इसी दुनिया से छूटने के डर से वह इस मेंटल कंडीशन के शिकार हो रहे हैं।
नोमोफोबिया के लक्षण
-मोबाइल फोन खोने का डर या बैटरी खत्म होने पर बेचैनी।
-सिग्नल न मिलने या नेटवर्क से बाहर होने पर घबराहट।
- मोबाइल फोन घर पर छोड़ आने पर असहज महसूस करना ।
-लगातार फोन चेक करना, भले ही कोई नोटिफिकेशन न आया हो।
-बिना किसी जरूरी काम के भी फोन का अत्यधिक उपयोग करना।
-मोबाइल के बिना रहने से तनाव, बेचैनी, और पसीना आना।