केदारनाथ के बाद से बंद हुए द्वितीय केदार के कपाट,  यहां  पूजी जाती है भगवान शिव की नाभि

punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2024 - 07:46 PM (IST)

नारी डेस्क: उत्तराखंड में पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बुधवार प्रात: शुभ मुहूर्त में विधि- विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गये। इस अवसर पर मंदिर को बेहद ही शानदार तरीके से सजाया गया था। कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली तथा देव निशानों ने स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल- दमाऊं सहित बाबा मद्महेश्वर के जय उदघोष के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार को प्रस्थान किया इस अवसर पर ढाई सौ से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे। 

PunjabKesari
इस बार18 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान मद्महेश्वर जी के दर्शन किये। कपाट बंद से एक दिन पहले श्री मद्महेश्वर मंदिर में यज्ञ- हवन किया गया था। आज प्रात: साढ़े चार बजे मंदिर खुल गया था। प्रातकालीन पूजा के पश्चात श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर जी के दर्शन किये। उसके बाद मंदिर गर्भगृह में कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई।भगवान मद्महेश्वर जी के स्वयंभू शिवलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया। शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों, फल पुष्पों , अक्षत से ढक दिया गया। शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट बंद किये। 

PunjabKesari

कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम हेतु गौंडार पहुंचेगी। 21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर में प्रवास तथा 22 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी 23 नवंबर को गिरिया से चलकर भगवान मद्महेश्वर जी की चलविग्रह डोली अपने देव निशानो के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में विराजमान हो जायेगी। इसी के साथ श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान मद्महेश्वर जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेगी।

PunjabKesari
मध्यमहेश्वर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में ऊखीमठ के पास स्थित इस मंदिर में शिव की पूजा नाभि लिंगम के रुप में की जाती है।  मदमहेश्वर के बारे में ये कहा जाता है कि  जो भी इंसान भक्ति या बिना भक्ति के भी मदमहेश्वर के माहात्म्य को सुनता या पढ़ता है उसे बिना कोई और चीज करे शिव के धाम की प्राप्ति हो जाती है। इसी के साथ कोई भी अगर यहां पिंडदान करता है तो उसकी सौ पुश्तें तक तर जाती हैं।

PunjabKesari

बता दें कि  पंच केदार में प्रथम केदार भगवान केदारनाथ हैं, जिन्हे बारहवें ज्योर्तिलिंग के रूप में भी जाना जाता है। द्वितीय केदार मद्मेहश्वर हैं, जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ, चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ और पंचम केदार कलेश्वर हैं।  मद्मेश्वर में भगवान शंकर के मध्य भाग के दर्शन होते हैं। दक्षिण भारत के शेव पुजारी केदारनाथ की तरह ही यहां भी पूजा करते हैं। 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Related News

static