जन्माष्टमी: यहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ 100 वर्षों से हो रही राक्षसी पूतना की पूजा
punjabkesari.in Monday, Aug 30, 2021 - 05:38 PM (IST)
देशभर में भादपद्र में जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं। देशभर के कृष्ण मंदिरों में इस दौरान भक्तों की भीड़ रहती है। मगर क्या आप जानते हैं भारत देश में एक ऐसा मंदिर भी है जहां पर बीते 100 साल से श्रीकृष्ण, देवी राधा के साथ राक्षसी पूतना की भी पूजा होती है। जन्माष्टमी के दिन पर इस मंदिर में राधा-कृष्ण के साथ राक्षसी पूतना की भी पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में...
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले चंदननगर के लीचूपट्टी इलाके में स्थित मंदिर
यह पावन मंदिर पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में चंदननगर शहर के नीचूपट्टी इलाके के राधा गोविंदबाड़ी में यह मंदिर स्थापित है। इस मंदिर का नाम राधा गोविंद मंदिर है। इसे राक्षसी बाड़ी भी कहा जाता है। कहते हैं कि यह मंदिर चंदननगर के नीचूपट्टी इलाके में रहने वाले अधिकारी परिवार के घर में स्थापित है। पिछले चार पीढ़ियों से यह परिवार परंपरागत रूप से पूजा करता आ रहा है। मंदिर में बाल कृष्ण को गोद में लिए पूतना राक्षसी की मूर्ति है।
मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलराम एव सुभद्रा की भी मूर्ति
इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और देवी राधा के साथ भगवान जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा की भी मूर्ति स्थापित है। चंदननगर में होने वाली प्रसिद्ध जगद्धात्री पूजा का भी यहां पर खास आयोजन होता है।
मंदिर से जुड़ी प्रचलित कहानी
इस परिवार की बुजुर्ग महिला का कहना है कि, उन्होंने अपने सास से सुना था कि उनके ससुर के स्वप्न में राक्षसी पूतना ने आकर मंदिर बनाकर पूजा करने को कहा था। फिर उनके ससुर के पिता ने अपने इस मकान में ही राधा गोविंद का मंदिर बनवाया। साथ ही इसमें राक्षसी पूतना की भी मूर्ति स्थापित की। उस दिन से उनका परिवार रोजाना तीन पहर देवी- देवताओं के साथ राक्षसी पूतना की भी पूजा करने लगा। इस मंदिर के अंदर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की मूर्ति है। मंदिर के बाहर भगवान श्रीकृष्ण को बाल रूप में दूध पिलाते हुए राक्षसी पूतना की मूर्ति है। राक्षसी पूतना की मूर्ति काफी बड़ी है जिसमें उसके मुंह में दो लंबे दांत दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही उनकी आंखों में लाल रंग की लाइट भी लगी हुई है, जो भक्तों को आकर्षित करती है। मगर अचानक से पूतना की मूर्ति देखने पर डर महसूस होता है। जन्माष्टमी के दिन यहां पर खास व भव्य उत्सव होता है। लोग दूर-दूर से मंदिर के दर्शन करने आते हैं।