अब अंधा नहीं रहा कानून! ''न्याय की देवी'' की आंखों से हटी पट्टी, हाथ में तलवार की जगह होगा संविधान

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 09:03 AM (IST)

नारी डेस्क: कानून अब अंधा नहीं रहा, सुप्रीम कोर्ट में ‘लेडी ऑफ जस्टिस’ यानी न्याय की देवी की उस प्रतिमा को हटा दिया गया है जिसमें आंखों में पट्‌टी लगी हुई थी। इस प्रतिमा पर अब तलवार की जगह भारतीय संविधान की एक प्रति है। इसका उद्देश्य यह संदेश देना है कि देश में कानून अंधा नहीं है और यह सजा का प्रतीक नहीं है।

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सीजेआई ने की पहल

भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ के कार्यकाल में किए गए इस बदलाव से अब यह संकेत मिलता है कि देश में कानून अंधा नहीं है और यह केवल सजा का प्रतीक नहीं है। परंपरागत रूप से, आंखों पर पट्टी बांधने का मतलब कानून के समक्ष समानता होता है, जिसका अर्थ है कि न्याय का वितरण पार्टियों की स्थिति, धन या शक्ति से प्रभावित नहीं होना चाहिए। तलवार ऐतिहासिक रूप से अधिकार और अन्याय को दंडित करने की क्षमता का प्रतीक है। 


देश का कानून सभी के लिए सम्मान

नई लेडी जस्टिस इस बात का प्रतीक हैं कि देश का कानून संविधान के तहत सभी को समान रूप से देखता है। न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में तलवार की नहीं, बल्कि संविधान की शक्ति प्रबल होती है। हालांकि, लेडी जस्टिस के दाहिने हाथ में न्याय का तराजू बरकरार रखा गया है, जो सामाजिक संतुलन और किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले दोनों पक्षों के तथ्यों और तर्कों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के महत्व का प्रतीक है।

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सुप्रीम कोर्ट ने किए कई बदलाव

 पिछले महीने, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसकी स्थापना के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में सुप्रीम कोर्ट के नए ध्वज और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया। CJI चंद्रचूड़ के कार्यकाल में, SC ने YouTube पर संविधान पीठ की कार्यवाही का लाइव-स्ट्रीमिंग शुरू किया और राष्ट्रीय महत्व की ऐसी सुनवाई के लाइव ट्रांसक्रिप्शन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण तकनीक का उपयोग किया। NEET-UG मामले और आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मामले में न्यायिक सुनवाई ने जनता का भरपूर ध्यान आकर्षित किया। 

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मूर्ति के हाथ में  तलवार की जगह संविधान

 सूत्रों ने बताया कि CJI का मानना है कि भारत को ब्रिटिश विरासत से आगे बढ़ना चाहिए। उनका विश्वास है कि कानून अंधा नहीं होता है, यह सभी को समान रूप से देखता है। यानी धन, दौलत और समाज में वर्चस्व के अन्य मानकों को कोर्ट नहीं देखता है। उनका मानना है कि मूर्ति के एक हाथ में संविधान होना चाहिए न कि तलवार, ताकि देश को यह संदेश मिले कि न्याय संविधान के अनुसार दिया जाता है।  अदालतों में दिखने वाली मूर्ति को लेडी जस्टिस मूर्ति कहा जाता है। इस मूर्ति को मिस्र की देवी मात और ग्रीक देवी थेमिस के नाम से जाना जाता है।


 


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vasudha

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