भारत में सस्ती होंगी स्विस लग्ज़री घड़ियां, सितंबर 2025 से आयात शुल्क होगा खत्म
punjabkesari.in Thursday, Jun 19, 2025 - 05:14 PM (IST)

नारी डेस्क: सितंबर 2025 से घड़ी प्रेमियों के लिए खास वक्त आने वाला है क्योंकि भारत–EFTA (स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, लिकटेंस्टीन) के बीच व्यापार समझौता (TEPA) लागू होगा और स्विस घड़ियों पर आयात शुल्क में धीरे-धीरे कटौती की जाएगी। यह सिर्फ आर्थिक कदम नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक मील का पत्थर है। यह कदम भारत के लग्जरी घड़ी बाजार को एक नई दिशा देगा और ताजगी से भरी लग्जरी का आनंद भारतीय ग्राहकों के लिए किफायती बनाएगा।
10 मार्च 2024: भारत–EFTA समझौते का ऐतिहासिक मोड़
16 वर्षों की बातचीत के बाद 10 मार्च 2024 को भारत और EFTA ने TEPA पर हस्ताक्षर किए। इस समूह में स्विट्जरलैंड और नॉर्वे जैसे देश शामिल हैं। इस समझौते के अनुसार भारत 7 वर्षों में स्विस घड़ियों पर 22% आयात शुल्क को चरणबद्ध रूप से समाप्त करेगा। इससे कीमतें कम होंगी, और घड़ियों की मांग बढ़ेगी। स्विस घड़ी उद्योग इसे भारत के लिए बड़ी उपलब्धि मान रहा है।
EFTA देशों ने TEPA के बदले में अगले 15 वर्षों में भारत में $100 अरब निवेश का आश्वासन दिया है। यह समझौता जल्द ही चारों देशों के सांसदों से मंजूरी लेने के बाद सितंबर 2025 में लागू होगा। स्विट्जरलैंड को अब तक की आपत्ति अवधि 10 जुलाई तक पूरी करनी है।
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भारतीय उपभोक्ताओं को क्या मिलेगा फायदा?
स्विस घड़ियों की कीमतों में 10‑20% की गिरावट की उम्मीद है। शुल्क हटने पर यह गिरावट और गहरी होगी। महंगे मॉडल अब वैश्विक स्तर पर तुलनीय कीमतों पर उपलब्ध होंगे। देश के स्विस घड़ी बाजार में बढ़ी हुई मूलभूत डिस्पोजेबल आय और समृद्ध वर्ग इस मांग के लिए जिम्मेदार हैं। TEPA से ग्रे मार्केट पर रोक लगेगी और वैध खुदरा चैनलों पे भरोसा बढ़ेगा।
स्विस ब्रांडों के लिए भारत अब प्राथमिकता
भारत, स्विस घड़ी निर्यात के लिहाज़ से दुनिया में 21वें स्थान पर है। 2024 में भारत में स्विस घड़ी निर्यात 273.9 मिलियन CHF तक पहुंच गया और 2025 की पहली तिमाही में यह 80.1 मिलियन CHF था — जिसमें 10.5% वृद्धि हुई है। इस साल पहले से ही स्विस ब्रांड जैसे रॉलैक्स, ओमेगा, जैगर-लेकौल्ट्रे, ब्रैइटलिंग, पैनेराई अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं। मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में मोनो-ब्रांड बुटीक खुल चुके हैं, और नए भी खुलने वाले हैं।
भारत में लग्जरी बाजार की तेजी
भारत में HNI (हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल) और अमीर मिलेनियल्स की तादाद बढ़ रही है, जिससे लक्ज़री की मांग बढ़ी है। डेलॉइट के सर्वे अनुसार 78% अमीर भारतीय भविष्य में लग्जरी घड़ी लेना चाहते हैं। प्री‑ओन्ड लक्ज़री घड़ियों की मांग भी काफी बढ़ रही है 50% लोग उपयोग की गई घड़ियाँ खरीदने को तैयार हैं।
TEPA सिर्फ घड़ियों के बारे में नहीं, बल्कि EFTA का $100 अरब निवेश भी शामिल है। स्विट्जरलैंड जैसे देशों को भारत के तेजी से बढ़ते लग्जरी बाजार तक पहुंच मिलेगी। भारत को उच्चस्तरीय विनिर्माण और खुदरा वृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। TEPA भारत का पहला समझौता है जिसमें निवेश-फॉर-टैरिफ-swaps सुविधा शामिल है, जिससे सहयोग और आसान बन सके।