सूर्य नमस्कार है हर बीमारी का काल, जानिए आसन व विधि

punjabkesari.in Sunday, Jun 21, 2020 - 11:24 AM (IST)

सूर्य नमस्कार का अर्थ है सूरज को अर्पन या नमस्कार करना। सूर्य नमस्कार से दिन की शुरुआत शुरू करने से आपका तन और मन दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। इस आसन को करने से आप ना सिर्फ बीमारियों से बचे रहते हैं बल्कि इससे तनाव से मुक्ति मिलती है। सूर्य नमस्कार करने के भी अलग-अलग तरीके होते हैं।

12 तरीकों से किया जाता है सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं। इसमें 6 विधि के बाद फिर उन्हीं 6 विधि को उल्टे क्रम में दोहराया जाता है। इस आसन को सुबह सूर्य की किरणों के सामने स्वच्छ व खुली हवादार जगह पर करना होता है।

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कितनी देर करना चाहिए सूर्य नमस्कार

यह आसन शरीर के लगभग सभी अंगों पर अच्छा प्रभाव डालता है इसलिए यह सभी योगासनों में से सर्वश्रेष्ठ है। सूर्य नमस्कार को 5 से 10 मिनट तक करना जरूरी है। अगर यह आसन रोजाना 5-12 बार तक कर लिया जाए तो आपको कोई और आसन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

सूर्य नमस्कार आसन व विधि

प्रणामासन (Pranamasana)

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और फिर दोनों हाथों को कंधे के सामान उठा लें। इसके बाद दोनों हथेलियों को ऊपर की तरफ उठाकर नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं। आखिर में नीचे की ओर गोल घूमाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
 

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फायदेः इस आसन से एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है। 

हस्तउत्तानासन (Hastottanasana)

पहले गहरी श्वास भरें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। अब हाथों को कमर से पीछे की ओर झुकाते हुए भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएं।

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फायदेः यह आसन फेफड़ों को निरोगी रखता है। आक्सीजन का सही मात्रा में संचार होने से ये दिमाग के लिए भी अच्छा है। इससे कंधे व पीठ का दर्द भी सही होता है। 

हस्तपादासन (Hasta Padasana)

इस स्थिति में आगे की ओर झुकते हुए श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालें। हाथों को गर्दन के साथ, कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएं और हाथों से फर्श को छुएं। अब कुछ देर इसी स्थिति में रुकें और फिर घुटनों को एक दम सीधा रखें।

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फायदेः कमर संबंधी तकलीफों के लिए यह आसन सर्वोत्तम है। इससे पीठ की मांसपेशियों में वृद्धि होती है और ये रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। यह मोटापे को दूर कर आंखों के नीचे पड़े काले घेरे व चेहरे के दाग धब्बो को दूर करता है। 

अश्वसंचालासन (Ashwa Sanchalanasana)

इस स्थिति में हथेलियों को जमीन पर रखकर सांस लेते हुए दाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। अब गर्दन को ऊपर की ओर उठाएं। अब इस स्थिति में कुछ समय तक रुकने के बाद सामान्य हो जाएं।

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फायदेः यह पैरों की उंगलियों से लेकर सिर तक, रक्त का संचार तेज करता है और शरीर को लचीला बनाता है। इससे मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

अधोमुखश्वानासन (Adho Mukha Svanasana)

इसमें सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। फिर शरीर के आधे हिस्से को नीचे की ओर झुका लें। मगर ध्यान रहे कि इस स्थिति में दोनों पैरों की एड़ियां साथ में मिली हुई हों। अब ठोड़ी को गले में लगाने की कोशिश करें।

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फायदेः  इससे सांस संबंधित समस्याएं दूर होती हैं यह साइनस की समस्या को भी दूर रखता है। इससे शरीर का आलस और थकान से दूर रहती है।

अष्टांगनमस्कारासन (Ashtanga Namaskara)

धीरे-धीरे सांस लेते हुए शरीर को सीधा करके लेट जाएं। अब घुटने, छाती और ठोड़ी पृथ्वी पर लगाकर कूल्हों को थोड़ा ऊपर उठाए। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें। कुछ देर इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाए।

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फायदेः पीठ, कंधे और गर्दन को मज़बूत देता है। साथ ही फेफड़ों की कार्य क्षमता भी बढ़ाता है।

भुजंगासन (Bhujangasana)

इस स्थिति में धीरे-धीरे सांस लेते हुए छाती को आगे की ओर खींचे। फिर हथेलियों को सीधा करके जमीन पर रखें। अब गर्दन को धीरे-धीरे पीछे की ओर ले जाएं। फिर घुटने जमीन को स्पर्श करें तथा पैरों के पंजे खड़े रहें।

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फायदेः  यह आसन पाचन क्रिया के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। पेट की चर्बी कम करने, कमर दर्द दूर रखने , स्लिप डिस्क और डायबिटीज से बचाए रखता है। स्त्री रोगों दूर रखने के लिए यह  बेस्ट आसन है।

अधोमुखश्वानासन (Adho Mukha Svanasana)

यह स्थिति पांचवीं स्थिति के समान है और आपको ऊपर किए गए आसनों को उल्टे क्रम में दोहराना है। इस स्थिति में सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए बाए पैर को पीछे की ओर ले जाएं। ध्यान रहें इस स्थिति में दोनों पैरों की एड़ियां एक साथ मिली हुई हों। अब गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को गले से लगाने की कोशिश करें।

अश्वसंचालासन (Ashwa Sanchalanasana)

यह स्थिति चौथी स्थिति के समान है। इस स्थिति में हथेलियों को जमीन पर रखें। अब सांस लेते हुए दाए पैर को पीछे की ओर ले जाए और फिर गर्दन को ऊपर उठाएं। अब इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें।

हस्तपादासन (Hasta Padasana)

इस स्थिति में आगे की ओर झुकतें हुए सांस को धीरे-धीरे छोड़ें। हाथों को गर्दन के साथ, कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएं और हाथों से फर्श को स्पर्श करें। अब कुछ देर इसी स्थिति में रुकें और फिर घुटनों को एकदम सीधा करके सामान्य हो जाए।

हस्तउत्तानासन (Hastottanasana)

इसमें धीरे-धीरे सांस भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें। फिर बाजू और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।

प्रणामासन (Pranamasana)

सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए शरीर को सीधा कर लें और फिर हाथों को नीचे की ओर सीधा करें। कुछ देर इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाए।

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बरतें ये सावधानियां

सूर्य नमस्कार को करने के बाद कुछ देर शवासन जरूर करें। साथ ही इसे उचित समय और धीमी गति से करें। एक स्थिति में सांस सामान्य होने के बाद ही दूसरी स्थिति शुरू करें। कोमल, अधिक गद्देदार मैट या बिस्तर पर यह आसन न करें। इससे आपकी रीढ़ की हड्डी में बल पड़ सकता है। इसके अलावा स्लिप डिस्क और हाई ब्लड प्रैशर के मरीजों को भी यह योग नहीं करना चाहिए।

सूर्य नमस्कार के फायदे

वजन कम करने के साथ-साथ सूर्य नमस्कार दिल की बीमारियों से भी बचाता है। साथ ही रोजाना यह आसन करने से शरीर डीटॉक्स होता है और मांसपेशियां व हड्डियां भी मजबूत होती हैं। इसके अलावा यह आसन त्वचा को निखरी व बेदाग बनाने में भी मददगार है।

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Content Writer

Anjali Rajput

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