मैटरनिटी लीव को लेकर SC का फैसला- महिला कर्मचारी को छुट्टी देने से मना नहीं कर सकती कंपनी
punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 04:03 PM (IST)

नारी डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि मातृत्व अवकाश मातृत्व लाभ का एक अभिन्न अंग है और महिलाओं के प्रजनन अधिकारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने आगे कहा कि कोई भी संस्था किसी महिला को मातृत्व अवकाश के अधिकार से वंचित नहीं कर सकती।
सरकारी शिक्षिका को नही मिला अवकाश
यह ऐतिहासिक आदेश तमिलनाडु की एक महिला सरकारी शिक्षिका द्वारा दायर याचिका पर आया, जिसे दूसरी शादी से बच्चे के जन्म के बाद मातृत्व अवकाश देने से मना कर दिया गया था। अपनी याचिका में महिला ने कहा कि उसे मातृत्व अवकाश इस आधार पर नहीं दिया गया कि उसकी पहली शादी से उसके दो बच्चे हैं। तमिलनाडु में नियम है कि मातृत्व लाभ केवल पहले दो बच्चों को ही मिलेगा।
महिला के मौलिक अधिकारों का हुआ उल्लंघन
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने अपनी पहली शादी से हुए दो बच्चों के लिए कोई मातृत्व अवकाश या लाभ नहीं लिया है। महिला ने यह भी दावा किया कि वह अपनी दूसरी शादी के बाद ही सरकारी सेवा में आई है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता केवी मुथुकुमार ने कहा कि राज्य के फैसले ने उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है क्योंकि उसने पहले तमिलनाडु के मातृत्व लाभ प्रावधानों का लाभ नहीं उठाया था।
बढ़ाय गया मातृत्व अवकाश
याचिकाकर्ता का पक्ष लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने मातृत्व लाभ के दायरे का विस्तार करते हुए कहा कि मातृत्व अवकाश को अब मूल प्रजनन अधिकारों के हिस्से के रूप में मान्यता दी जाएगी। 2017 में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मातृत्व लाभ अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए। सभी महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया। बच्चा गोद लेने का विकल्प चुनने वाली महिलाएं भी 12 सप्ताह के मातृत्व अवकाश की हकदार हैं।