पुरुषों की तुलना में महिलाओं की नींद क्यों हो रही है अधिक खराब? जानिए इसके पीछे की वजहें
punjabkesari.in Monday, Nov 18, 2024 - 11:51 AM (IST)
नारी डेस्क: अनिद्रा (Insomnia) या नींद की कमी आजकल बहुत आम हो गई है, और यह समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, फिर भी यह महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है। एक अध्ययन में यह सामने आया है कि महिलाओं में अनिद्रा की दर 58 प्रतिशत अधिक होती है। महिलाओं में नींद की गुणवत्ता और नींद की समस्या का सीधा संबंध उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है।
महिलाओं में नींद की समस्या का प्रमुख कारण
हर व्यक्ति को कभी न कभी नींद की समस्या होती है, लेकिन यह समस्या महिलाओं के लिए अधिक गंभीर बन जाती है। मुख्य कारणों में तनाव, बढ़ते हुए काम का बोझ, कैफीन का अधिक सेवन, देर रात तक काम करना, और जीवनशैली की गलत आदतें शामिल हैं। खासकर कार्य और परिवार की जिम्मेदारियों के कारण महिलाएं रात को देर तक जागने और काम करने की आदत बना लेती हैं, जिससे उनकी नींद प्रभावित होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, हर 3 में से 1 व्यक्ति पर्याप्त नींद के लिए संघर्ष करता है, और यह समस्या महिलाओं में पुरुषों से अधिक देखी जाती है।
हार्मोनल उतार-चढ़ाव का असर
महिलाओं में हार्मोनल बदलावों का नींद पर बहुत असर पड़ता है। मासिक धर्म (पीरियड) के दौरान एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बदलाव होते हैं, जिससे महिलाओं की नींद पर प्रतिकूल असर पड़ता है। जब इन हार्मोन का स्तर कम या अधिक होता है, तो महिलाओं को अधिक थकावट महसूस होती है, साथ ही उनकी नींद की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। इसलिए महिलाओं को पीरियड्स के दौरान खासतौर पर नींद की समस्या होती है।
गर्भावस्था और मेनोपॉज का असर
गर्भावस्था और मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में नींद की समस्या और भी बढ़ जाती है। गर्भवती महिलाओं को खासकर पहले तिमाही में नींद की परेशानी होती है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान शारीरिक बदलाव और मानसिक तनाव भी नींद को प्रभावित करते हैं। मेनोपॉज के समय हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं में नींद से जुड़ी समस्याएं अधिक देखी जाती हैं। जैसे रात को पसीना आना, गहरी नींद ना आना, और अचानक जागना। एस्ट्रोजेन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण मस्तिष्क के तापमान नियंत्रण में गड़बड़ी आती है, जिससे रात में पसीना आता है और नींद प्रभावित होती है।
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मानसिक स्वास्थ्य और नींद
महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी नींद पर असर डाल सकती हैं। मानसिक तनाव, चिंता, और डिप्रेशन महिलाओं में अक्सर पाए जाते हैं, जो उनकी नींद की समस्या को बढ़ा सकते हैं। तनाव और चिंता के कारण महिला का मन शांत नहीं होता, जिससे नींद नहीं आती। मानसिक समस्याओं के कारण अनिद्रा की समस्या और बढ़ जाती है, जिससे नींद का चक्र टूट जाता है।
सोने की गलत आदतें और जीवनशैली
बहुत सी महिलाएं रात में देर तक स्क्रीन के सामने बैठकर मोबाइल या टीवी का उपयोग करती हैं, जिससे उनकी नींद का पैटर्न प्रभावित होता है। नीली रोशनी (Blue Light) का प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है और मेलाटोनिन नामक नींद के हार्मोन के उत्पादन को रोकता है। इस कारण रात को नींद में दिक्कत होती है। इसके अलावा, महिलाओं को दिन में भी कम समय मिलता है आराम करने के लिए, जिस कारण शरीर में पर्याप्त ऊर्जा का संचार नहीं हो पाता और नींद की समस्या बढ़ जाती है।
आहार का प्रभाव
खाने-पीने की आदतों का भी नींद पर गहरा असर पड़ता है। महिलाओं में अक्सर शरीर में आयरन की कमी होती है, जिससे उन्हें थकावट और नींद की कमी का सामना करना पड़ता है। साथ ही अधिक कैफीन, चाय, और कैफेइनेटेड ड्रिंक्स का सेवन नींद में खलल डालता है। रात के समय भारी भोजन का सेवन भी नींद को प्रभावित करता है।
महिलाओं की नींद पर यह तमाम समस्याएं असर डालती हैं और यह उनकी शारीरिक व मानसिक सेहत को प्रभावित करती हैं। हार्मोनल बदलाव, मानसिक तनाव, गर्भावस्था और मेनोपॉज, साथ ही जीवनशैली से जुड़ी आदतें महिलाओं के लिए अनिद्रा और नींद की गुणवत्ता की समस्याओं का कारण बनती हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए महिलाओं को मानसिक और शारीरिक आराम, संतुलित आहार, और नींद से पहले कुछ समय स्क्रीन से दूर बिताने की आदत डालनी चाहिए।