यूट्रस में रसौलियां होने की निशानियां, जानिए इनका उपचार
punjabkesari.in Tuesday, Jun 22, 2021 - 06:29 PM (IST)
पीरियड्स के वक्त बहुत ज्यादा क्लोंटिग यानि की खून की बनी गांठें बनना, दर्द होना, बार-बार मिसकैरेज होना, यह सब यूट्रस में रसौली होने के लक्षण हो सकते हैं। रसौलियां जिसे फाइब्रॉइड्स, यूट्रस सिस्ट, बच्चेदानी की गांठ भी कहा जाता है, इस समय यह समस्या बड़ी आम ही सुनने को मिल रही है। जिसका कारण महिला के शरीर में हार्मोनल गड़बड़ी है और हार्मोंन्स की गड़बड़ी की वजह, बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल है। 16 से 50 साल की उम्र की महिलाओं में रसौली की समस्या देखने को मिल रही है। छोटी उम्र में यह समस्या होना लाइफस्टाइल का खराब होना माना जाता है।
रसौलियां हैं क्या?
रसौलियां यूट्रस या बच्चेदानी में फाइब्रस टिश्यूज से बनती है। महिला का गर्भाश्य तीन भागों में बंटा है और यह यूट्रस के किसी भी हिस्से में हो सकती है। जिसका साइज भी अलग-अलग हो सकता है।
रसौली होने पर क्या-क्या परेशानी होती है?
अगर महिला की यूट्रस में रसौली हो तो प्रेग्नेंसी की समस्या आती है। पीरियड के दौरान हैवी ब्लीडिंग-दर्द होता है। कुछ महिलाओं को बार-बार मिसकैरेज झेलना पड़ता है इसलिए पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग और अनियमितता को हल्के में ना लें।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना, भारीपन महसूस होना या इंटरकोर्स के समय दर्द होना।
- बार-बार यूरिन पास होना और वेजाइना में बदबूदार डिस्चार्ज होना।
- हर समय वीकनेस रहना, पैरों में दर्द होना और कब्ज की शिकायत रहना।
रसौली हो तो निकलवानी पड़ती है यूट्रस?
ऐसा पहले था जब यूट्रस निकालना ही एकमात्र इलाज माना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। डॉक्टर मरीज की रसौली का साइज देखकर उसी प्रकार से ट्रीटमेंट करते हैं। कई बार तो यह दवाइयों से ही ठीक हो जाती है जबकि कई बार सर्जरी की जरूरत पड़ती है लेकिन सर्जरी में यूट्रस नहीं निकाली जाती। मेनॉपॉज महिला को भी सर्जरी सजेस्ट नहीं की जाती क्योंकि मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉइड्स के टिश्यूज की ग्रोथ खुद-ब-खुद बंद हो जाती है। आपका लाइफस्टाइल सहीं होगा तो आपकी यूट्रस स्वस्थ रहेगी।
जो भी खाएं हैल्दी खाएं। ज्यादा पानी पीएं। वजन पर कंट्रोल रखें।
आंवला जूस- आंवला के एंटी ऑक्सीडेंट गुण यूट्रस में रसौलियां नहीं बनने देते। रोजाना सुबह आंवला का जूस में 1 चम्मच शहद डालकर खाली पेट पीने आपको फायदा मिलेगा।
ग्रीन टी- ग्रीन टी भी रसौली की कोशिकाओं को फैलने से रोकता है। इसके लिए रोज 2 से 3 कप ग्रीन टी का सेवन करें।
हल्दी- हल्दी में मौजूद एंटीबॉयोटिक गुण शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। साथ ही इससे गर्भाश्य कैंसर का खतरा भी कम होता है।
लहसुन- खाली पेट 1 से 2 लहसुन की कलियों का सेवन करें। लगातार 2 महीने तक इसका सेवन इस समस्या को जड़ से खत्म कर देता है।
याद रखिए कि आपका हैल्दी खान-पान खान जरूरी है, एक्सरसाइज और योग करें ताकि आप ऐसी समस्याओं से बची रहें।