कब है Ekadanta Sankashti Chaturthi? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

punjabkesari.in Saturday, May 25, 2024 - 06:36 PM (IST)

नारी डेस्क: एकदंत संकष्टी चतुर्थी को सबसे खास दिनों में से एक माना गया है। इस दिन भगवान गणेश की उपासना की जाती है। इस दिन साधक बप्पा की आराधना करते हुए उपवास रखते हैं। हर महीने के दोनों पक्ष (शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और कृष्णा पक्ष की चतुर्थी तिथि) को भगवान श्रीगणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मतलब ये हर महीने 2 बार मनाई जाती है। इनमें से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।  इस बार ये 26 मई को मनाई जा रही है। 

एकदंत संकष्टी चतुर्थी  का शुभ मुहूर्त

एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 मई को सुबह 06.06 बजे पर होगी। वहीं इसका समापन 27 मई की सुबह 04.53 बजे होगा। एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व और शुभ मुहूर्त 26 मई को ही रहेगा। इस दिन पूजा का समय चंद्रोदय होने पर रात 09.39 बजे रहेगा। 

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ऐसे करें एकदंत संकष्टी चतुर्थी में पूजा

- इस पावन दिन सुबग सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

- पूजा घर के ईशान कोण में चौकी पर लाल- पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी को विराजित करें।

- पूजा और व्रत का संकल्प लें और गणेश जी को फूल अर्पित करें।

- अब फूल- माला, दूर्वा की 11 या 21 गांठें भगवान को चढ़ाएं।

- अब सिंदूर- अक्षत लगाकर मोदक, फल चढ़ाएं।

- जल चढ़ाकर घी का दीपक और धूप प्रज्वलित करें।

- भगवान गणेश का ध्यान करें।

- पूरे दिन व्रत करें, सूर्यास्त से पहले भगवान की पूजा करें।

- गणेश जी की आरती गाएं और गणेश चालीसा का पाठ करें।

- चंद्र देव के दर्शन के बाद अर्घ्य दें और व्रत शुरु करें।

- पूजा के बाद बप्पा से अपनी जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए और सुख- समृद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करें।

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एकदंत संकष्टी चतुर्थी का महत्व

मान्यता है कि इस दिन बप्पा की पूजा करने से भक्तों के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि, और विद्या का देवता माना जाता है, तो वो अपने भक्तों को शिक्षा, व्यवसाय, और करियर में तरक्की देते हैं।


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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