अजब- गजब परंपरा: ससुराल में कदम रखते ही यहां बहुरानी का होता है 5 घंटे का वर्जिनिटी टेस्ट
punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 05:25 PM (IST)

नारी डेस्क: आज जब दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और स्पेस टेक्नोलॉजी जैसी तरक्की की ऊंचाइयों पर पहुंच रही है तब भी कुछ समाज ऐसे हैं जहां महिलाओं के साथ अपमानजनक परंपराएं निभाई जा रही हैं। इन रस्मों में महिलाओं की गरिमा, सम्मान और आत्मसम्मान को नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसी ही एक चौंकाने वाली घटना चीन से सामने आई है, जहां एक नवविवाहिता को शादी के बाद ससुराल में घुसने से पहले वर्जिनिटी टेस्ट की अजीब और अपमानजनक रस्म से गुजरना पड़ा।
दुल्हन को टोकरी में बैठाकर ली गई 'पवित्रता' की परीक्षा
इस घटना में जैसे ही नवविवाहिता अपने ससुराल पहुंची, तो उसकी सास ने घर में घुसने से पहले एक अजीब परंपरा निभाने को कहा। महिला को नंगे पैर एक बांस की टोकरी में बैठाया गया। शर्त यह थी कि वह पांच घंटे तक उस टोकरी में इस तरह बैठे कि उसके पैर जमीन को न छुएं।
यह सिर्फ बैठना नहीं था, बल्कि महिला को एक पैर पर संतुलन बनाना था। इस प्रक्रिया को वहां वर्जिनिटी टेस्ट की तरह देखा जाता है, जिसमें यह साबित करना होता है कि दुल्हन "पवित्र" है और उसके कदम घर में सौभाग्य लाते हैं।
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पांच घंटे की शारीरिक और मानसिक यातना
जरा सोचिए, किसी नवविवाहिता को जो शादी के बाद नए जीवन की शुरुआत करने जा रही है उसे घर में कदम रखने से पहले पांच घंटे एक पैर पर टोकरी में बैठना पड़े वो भी नंगे पैर। यह रस्म जितनी शारीरिक रूप से कठिन है, उससे कहीं ज्यादा मानसिक रूप से तोड़ देने वाली है। इस तरह की परंपरा न केवल महिला के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाती है, बल्कि यह दर्शाती है कि समाज में महिलाओं को अब भी सम्मान की जगह संदेह की नजरों से देखा जाता है।
शादी से पहले पैसे और फिर रिश्ता तोड़ने का चलन
इस घटना ने चीन में एक और गंभीर मुद्दे की ओर ध्यान दिलाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कई बार शादी के नाम पर दुल्हन के घरवालों से पैसे लिए जाते हैं और फिर शादी के कुछ घंटों या दिनों के अंदर रिश्ता तोड़ दिया जाता है। यह सिर्फ सामाजिक नहीं, बल्कि आर्थिक और भावनात्मक शोषण है। कई दुल्हनें कैमरे के सामने रोती-बिलखती नजर आई हैं, जिन्होंने इन रीति-रिवाजों की क्रूरता को उजागर किया है।
ग्रामीण महिलाएं अब उठा रही हैं आवाज
उम्मीद की किरण यह है कि अब महिलाएं इन प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने लगी हैं। हाल ही में चीन के जियांग्शी प्रांत की सुइचुआन काउंटी में एक सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें 30 अविवाहित ग्रामीण महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस चर्चा में महिलाओं ने खुलकर बताया कि कैसे शादी उनके लिए कोई खुशी का मौका नहीं, बल्कि सामाजिक दबाव और अपमान का कारण बन गई है। उन्होंने यह भी कहा कि अब वक्त आ गया है कि ऐसी प्रथाएं बंद होनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर गूंजा विरोध
यह मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हजारों यूज़र्स ने इस परंपरा को "शर्मनाक", "मानवता के खिलाफ" और "महिलाओं का अपमान" बताया। लोगों ने सरकार से मांग की है कि ऐसे पुराने और अपमानजनक रिवाजों को तुरंत रोका जाए और महिला अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
यह घटना हमें एक बड़ा सवाल छोड़ जाती है क्या हम सच में आधुनिक हो गए हैं? क्या तकनीकी तरक्की ही असली तरक्की है, जब सोच अब भी पुराने और अपमानजनक रिवाजों में अटकी है?