'जनेऊ' निकल आए तो हो जाता है दर्द से बुरा हाल, सिर्फ 1 देसी नुस्खा जो जल्दी देगा आराम

punjabkesari.in Monday, Mar 10, 2025 - 08:32 PM (IST)

नारी डेस्कः आपने चिकनपॉक्स का नाम सुना होगा। जिन्होंने चिकनपॉक्स संक्रमण का दर्द झेला उन्हें शिंगल्स होने का खतरा भी रहता है, जिसे आम भाषा में लोग जनेऊ निकलना या नागिन निकलना भी कह देते हैं। इस जनेउ त्वचा रोग या नागिन त्वचा रोग (Nagin Skin Disease) होने पर खास देखभाल करने की जरूरत रहती है नहीं तो यह इंफेक्शन बढ़ भी जाता है और बहुत दर्दभरा भी हो सकता है। 

शिंगल्स (Shingles) क्या है? या जनेऊ व नागिन निकलना क्या है?

शिंगल्स (Herpes Zoster) एक वायरल इंफेक्शन हैं जो त्वचा पर दर्दनाक दाने, चकत्ते या फफोले के रूप में होता है। यह इंफेक्शन वैरिसेला-ज़ोस्टर (Varicella Zoster) नाम के वायरस के कारण होता है, जो चिकनपॉक्स का भी कारण बनता है। यह आमतौर पर शरीर के किसी एक भाग में एक पट्टी के रूप में दिखाई देता है इसीलिए इसे जनेउ और नागिन भी कहते हैं ।

शिंगल्स कैसे होता है?

बचपन में चिकनपॉक्स का संक्रमण झेलने वाले व्यक्ति का शरीर वायरस को हरा देता है लेकिन यह वायरस  शरीर के अंदर ही निष्क्रिय रहता है लेकिन इम्यूनिटी कमजोर होने पर यह फिर से एक्टिव हो सकता है और शिंगल्स के रूप में उभर सकता है इसीलिए चिकनपॉक्स का संक्रमण झेलने वाले व्यक्ति को शिंगल्स होने की संभावना अधिक होती है।

रिपोर्ट्स की मानें तो संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल लगभग 10 लाख लोगों को शिंगल्स (जनेऊ) होता है। चिकनपॉक्स होने वाले लगभग 10% लोगों को भविष्य में शिंगल्स होने की संभावना बनी रहती है। 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है। 
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शिंगल्स के शुरुआती लक्षण

शिंगल्स रोग संक्रमण होने पर शुरुआती लक्षण में हल्के दर्द, खुजली या झुनझुनी होती हैं लेकिन इसी के साथ पहले बुखार होना, ठंड लगना, सिरदर्द-थकान महसूस होना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, पेट की गड़बड़ी या अपच जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। 

कुछ दिनों बाद दिखने वाले लक्षण

त्वचा पर खुजली-झनझनाहट और जलन जैसे होना।
प्रभावित स्किन पर लालगी, दानों का उभरना।
पानी से भरे फफोले जो फटकर पपड़ी बना सकते हैं।

दर्द और जलन: प्रभावित स्किन पर तेज़ दर्द और जलन महसूस होती है।
लाल चकत्ते: प्रभावित हिस्से में त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते उभरते हैं।
फफोले: चकत्तों पर छोटे-छोटे पानी के फफोले बनते हैं।
थकान और बुखार: थकान और हल्का बुखार भी हो सकता है।
एक तरफा संक्रमण: यह रोग मुख्यतः शरीर के केवल एक हिस्से पर ही होता है, जैसे कमर, पीठ या चेहरे पर।

शिंगल्स (जनेऊ या नागिन त्वचा रोग) के कारण

शिंगल्स होने का मुख्यत कारण कमजोर इम्यूनिटी से ही जोड़ा जाता है। इसी के साथ कुछ अन्य कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं। जैसेः
बढ़ती उम्र के साथ इम्यूनिटी कमजोर होना।
पहले किसी गंभीर बीमारी जैसे कैंसर या एचआईवी के कारण।
लंबे समय तक स्टेरॉयड या दवाइयों का सेवन।
तनाव और मानसिक थकावट।
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शिंगल्स (जनेऊ) कितने समय तक रहता है?

यह संक्रमण आमतौर पर 3 से 5 सप्ताह तक रहता है और पहले कुछ दिनों में ही स्किन पर जलन और दर्द होती है फिर एक तरफ के शरीर में छोटे- छोटे दाने उभरते हैं। ये दाने 2-4 दिनों में फफोले बनते हैं। 10 दिनों में ये फफोले सूखने लगते हैं और फिर 2-3 हफ्तों में ये दाने पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। 

क्या शिंगल्स फैलता है?

अगर किसी व्यक्ति को शिंगल्स है तो यह किसी और को शिंगल्स नहीं देता लेकिन इससे चिकनपॉक्स फैल सकता है। यह फफोलों से निकलने वाले पानी के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है इसलिए जब तक फफोले सूखकर पपड़ी न बन जाएं, तब तक यह संक्रामक ही रहता है।

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शिंगल्स (जनेऊ) का इलाज कैसे किया जाता है?

1. एंटीवायरल और दर्द निवारक दवाइयां

 त्वचा पर दिखने वाले दानों के आधार पर ही डॉक्टर शिंगल्स का इलाज कर सकते हैं हालांकि शिंगल्स के लिए कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए उपचार उपलब्ध हैं। डॉक्टर इंफेक्शन से बचाने के लिए एंटीवायरल और दर्द निवारक दवाइयां दे सकते हैं। 

2. स्किन केयर

शिंगल्स में फफोले और चकत्तों को साफ और सूखा रखना महत्वपूर्ण है। खुजली से राहत पाने के लिए एंटीहिस्टामिन दवाइयां या लोशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। कोई भी दवाई इस्तेमाल करने से पहले ड़ॉक्टरी परामर्श जरूरी है। 

3. पोस्ट-हर्पेटिक न्यूरल्जिया (PHN) का इलाज

अगर शिंगल्स के उपचार के बाद भी लंबे समय तक दर्द बना रहता है तो इसके इलाज के न्यूरोपैथिक दर्द निवारक दवाइयां और अन्य तकनीकें शामिल होती हैं।

शिंगल्स की बचाव कैसे करें?

शिंगल्स से बचाव के लिए टीकाकरण जरूरी है। आप डॉक्टरी सलाह से टीका लगवा सकते हैं। चाहे पहले चिकनपॉक्स हुआ है या नहीं हुआ, इससे फर्क नहीं पड़ता, फिर भी टीका लगवाना उचित है। शिंगल्स वैक्सीन 50 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों को दी जाती है, जिससे संक्रमण का जोखिम और गंभीरता कम होती है।

इम्यूनिटी को मजबूत करें
संतुलित आहार खाएं।
नियमित व्यायाम करें।
योग और मेडिटेशन का सहारा लें ताकि स्ट्रेस फ्री रहे।
भरपूर नींद लें।
धूम्रपान और शराब से बचें।

क्या शिंगल्स खतरनाक हो सकता है?

जी हां, अगर यह आंखों को प्रभावित करता है तो अंधापन हो सकता है। कुछ दुर्लभ मामलों में, शिंगल्स सुनने की समस्या, निमोनिया, मस्तिष्क की सूजन और मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

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जनेऊ ठीक करने का देसी व आयुर्वेदिक नुस्खा 

जनेऊ निकलने के बहुत से लोग देसी नुस्खे भी बताते हैं। जिनमें से एक देसी नुस्खा डॉक्टर अमनदीप सिंह चीमा के फेसबुक पेज पर भी शेयर किया गया है। 

पहला नुस्खाः सुबह खाली पेट “गुल दोपहरिया” 6 इंंच का टुकड़ा हाथ के तलवे पर अंगूठे से मसलकर गोली बनाकर रोगी को देसी गाय के दूध से खिला दें और सारा दिन नमक, भोजन, अन्य खाद्य पदार्थ ना खाएं। व्यक्ति को गाय का दूध और फल का सेवन ही करना है।

दूसरा नुस्खाः “हंसराज” बूटी और “चंदन” को सिलबट्टे पर “गुलाब के फूल” के रस में पीसकर इसका लेप बनाए और लगाए । इससे रोग जड़ मूल से नष्ट होगा हालांकि कोई भी नुस्खा अपनाने से पहले चिकित्सक संपर्क करना ना भूलें। 
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क्या शिंगल्स रोग केवल बुजुर्गों में होता है?

बुजुर्गों को इसका जोखिम अधिक रहता है लेकिन यह रोग किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। 

क्या टीकाकरण के बावजूद शिंगल्स हो सकता है?

जी हां, लेकिन जो लोग टीकाकरण करवाते हैं, उन्हें भी शिंगल्स हो सकता है लेकिन उनमें होने की संभावना बहुत कम होती है। टीकाकरण के कारण शिंगल्स की गंभीरता भी कम हो जाती है।

क्या बिना चिकनपॉक्स हुए भी शिंगल्स हो सकता है?

नहीं,  शिंगल्स केवल उन्हीं लोगों को हो सकता है जिन्हें पहले कभी चिकनपॉक्स हुआ हो लेकिन इस बात का ध्यान भी रखें अगर किसी को चिकनपॉक्स नहीं हुआ है और वे शिंगल्स संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो उन्हें चिकनपॉक्स हो सकता है।

शिंगल्स होने पर काम पर कब लौट सकते हैं?

जब तक फफोले पूरी तरह सुखकर पपड़ी नहीं बन जाते तब तक व्यक्ति  संक्रामक (इंफेक्टेड) होता है। आमतौर पर यह 10 दिनों में ठीक हो जाता है। जब आप बेहतर महसूस करें और दूसरों को संक्रमण न फैले, तब आप काम पर लौट सकते हैं।

शिंगल्स और खसरा में क्या अंतर है?

शिंगल्स और खसरा, दोनों ही रोगों में त्वचा पर दाने होते है लेकिन दोनों रोग अलग-अलग है। शिंगल्स वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस से होता है जबकि खसरा रुबेला वायरस के कारण होता है।

डिस्कलेमरः यदि शिंगल्स के लक्षण दिखें तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती उपचार से ही दर्द और अऩ्य समस्याओं को कम किया जा सकता है। डॉक्टरी परामर्श से टीकाकरण करवाए ताकि इसके गंभीर लक्षणों से बचा जा सके। 


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Content Writer

Vandana

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