इन राशियों पर चल रही है शनि साढ़े साती, बुरे प्रभाव से बचने के ये हैं उपाय
punjabkesari.in Monday, May 02, 2022 - 12:00 PM (IST)
शनि न्याय के देवता हैं और ये जब प्रसन्न होते हैं तो रंक को राजा और नाराज होते हैं तो राजा को रंक बना देते हैं। यही कारण है शनि को हमेशा प्रसन्न रखने का प्रयास किया जाता है। शनि की एक साथ 5 राशियों पर नजर रहती है जिनमें से दो राशि वालों पर शनि ढैय्या रहती है तो 3 पर शनि साढ़े साती। 29 अप्रैल के बाद राशि परिवर्तन हसे चुका है। इस दौरान शनि मकर राशि से कुंभ में प्रवेश करेंगे
30 वर्षों के बाद हुआ परिवर्तन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंभ राशि में शनि के प्रवेश करते ही मिथुन और तुला वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। शनिदेव 30 वर्षों के बाद स्वयं की राशि कुंभ में प्रवेश कर रहे है। मकर और कुंभ राशि शनि देव की स्वंय की राशि है। शनि ढैय्या से मुक्ति मिलने के बाद मिथुन और तुला राशि के लोगों के लिए तरक्की से नए रास्ते खुल जाएंगे। साथ ही पुराने रोग से मुक्ति मिलेगी।
कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैय्या शुरू
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो काम आपके शनि की दशा के कारण रूके थे वो बनने लगेंगे। मानसिक परेशानियों का अंत होगा। शनि ग्रह के गोचर करते ही कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी। शनि का राशि परिवर्तन वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुभ नहीं माना जा रहा है।
शनि की ढैय्या का ये होता है असर
धन और सेहत के मामले में विशेष सावधानी बरतनी होगी।
प्रेम संबंधों में बाधाएं आ सकती हैं।
अहंकार और क्रोध पर नियंत्रण रखना होगा।
नौकरी-रोजगार में बाध उत्पन्न हो सकती है।
12 जुलाई को फिर होगा परिवर्तन
शनिदेव दोबारा से कुछ समय के लिए 12 जुलाई 2022 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे जिसके कारण से मिथुन, तुला और धनु राशि के जातकों पर शनि का प्रभाव फिर से आ जाएगी। शनि यहां पर 17 जुलाई 2023 तक रहेंगे। ऐसे में मिथुन, तुला और धनु राशि से शनि की दशा पूरी तरह से साल 2023 में ही खत्म होगी।
साढ़ेसाती से बचने के ये है उपाय
-एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद उस तेल को किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
-हनुमान जी के मंदिर में चढ़ाना चाहिए सिंदूर, चमेली का तेल, लड्डू और एक नारियल
-सुबह स्नान करने के बाद पीपल को जल अर्पित करें। इसके साथ ही सात परिक्रमा करें।
-काली उड़द की दाल अथवा सप्त अनाज का शनिवार को दान करना चाहिए
-शनिदेव की पूजा कर उन्हें नीले पुष्प अर्पित करें। इसके साथ ही शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नमः का रुद्राक्ष की माला में जप करें।