Shani Pradosh Vrat: भाद्रपद का प्रदोष व्रत कब? जानिए पूजा मुहूर्त और विधि
punjabkesari.in Friday, Sep 17, 2021 - 01:22 PM (IST)
शनि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक शुभ त्योहार है, जो भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत हर महीने त्रयोदशी तिथि (चंद्र पखवाड़े के तेरहवें दिन) आता है। भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत शनिवार को होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। चलिए जानते हैं कि कब पड़ रहा है प्रदोष व्रत, पूजा मुहूर्त और इसका पौराणिक महत्व
महीने में दो बार आते हैं प्रदोष व्रत?
हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। वर्तमान में, हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद माह का कृष्ण पक्ष प्रभाव में है। प्रदोष व्रत का नाम उस दिन के अनुसार बदल जाता है जिस दिन यह मेल खाता है। यह पवित्र दिन भगवान शिव के अनुयायियों के लिए एक विशेष महत्व रखता है इसलिए वे प्रदोष व्रत नामक एक दिन का उपवास रखते हैं। फिर भक्तजन सूर्यास्त के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान पूजा-अर्चना करते हैं।
क्याों रखा जाता है प्रदोष व्रत?
ऐसा माना जाता है कि भगवान महादेव भक्तों को स्वास्थ्य, संतोष, लंबी उम्र, धन और सौभाग्य प्रदान करेंगे। यह भी माना जाता है कि जो लोग शनि प्रदोष का व्रत रखते हैं उन्हें शक्ति और शिव की कृपा और संतान प्राप्ति होती है। कई ज्योतिषी भी निःसंतान दंपत्तियों को शनि प्रदोष व्रत करने की सलाह देते हैं।
शनि प्रदोष व्रत तिथि
शनि प्रदोष व्रत 18 सितंबर, 2021 को पूरे देश में मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने के शनि पक्ष की त्रयोदशी तिथि शनिवार सुबह 06:54 बजे शुरू होगी और अगले दिन 19 सितंबर 05:59 मिनट पर समाप्त होगी।
प्रदोष व्रत 2021 पूजा मुहूर्त
प्रदोष व्रत रखने वाले लोगों को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के दिन दो घंटे 16 मिनट का मुहूर्त मिलेगा। त्रयोदशी तिथि पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त शनिवार को शाम 6:39 बजे से 8:56 बजे के बीच है। पंचांग के अनुसार, व्रत रखने वाले लोग शाम 06:39 बजे से 08:56 बजे के बीच भगवान शिव की पूजा अवश्य करें।
शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके व्रत का संकल्प लें। भक्त भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाते हैं और शिव मंत्रों का जाप करते हैं। शाम को भांग-धतूरा, बेलपत्र, अक्षत, धूप, फल, फूल और खीर भगवान भोलेनाथ को चढ़ाकर पूजा की जाती हैं। इस दिन शिव चालीसा और शिवाष्टक का जाप जरूर करें।
शनि प्रदोष व्रत महत्व
इस दिन भगवान शिव के भक्त राक्षसों पर उनकी जीत का जश्न मनाते हैं और त्रयोदशी तिथि पर व्रत रखते हैं। यह दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन महादेव ने पर्वत (वाहन) और नंदी (बैल) के साथ असुरों व दानवों का नाश किया था। तब से भक्त व्रत का पालन करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा करते हैं। साथ ही व्रती भगवान से शांतिपूर्ण, आनंदमय और समृद्ध जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं।