मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के वो 5 चमत्कारी रहस्य जो आज भी हैरान करते हैं
punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 12:05 PM (IST)

नारी डेस्क: भारत एक ऐसा देश है जहां हर कोने में कोई न कोई चमत्कारी मंदिर या तीर्थस्थल मौजूद है। इन्हीं में से एक बेहद प्रसिद्ध और रहस्यमयी मंदिर है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जो राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसके साथ जुड़ी रहस्यमयी कहानियां और परंपराएं भी लोगों को आश्चर्य में डाल देती हैं। यहां भक्तों का विश्वास है कि भगवान हनुमान की कृपा से लोग भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से मुक्त हो जाते हैं। इस मंदिर से जुड़ी कई बातें ऐसी हैं जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लेकिन लोगों की आस्था और अनुभव इन्हें सच साबित करते हैं।
भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति का स्थान
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को खास तौर पर भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा दिलाने वाले स्थान के रूप में जाना जाता है। यहां रोजाना हजारों लोग आते हैं कुछ अपने किसी प्रियजन की परेशानी को लेकर, तो कुछ खुद पर आई अनचाही ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए। मान्यता है कि बालाजी महाराज स्वयं भक्तों की सहायता करते हैं और नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर देते हैं। हालांकि, यह एक रहस्य है कि क्या वास्तव में यहां आने से प्रेतबाधा से पूरी तरह छुटकारा मिल जाता है। इस विषय में लोगों की मान्यताएं अलग-अलग हैं लेकिन यहां की भीड़ यह बताने के लिए काफी है कि लोग इस शक्ति में विश्वास करते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी में दो प्रकार के प्रसाद मिलते हैं
इस मंदिर की सबसे खास बातों में से एक है प्रसाद वितरण की अलग प्रक्रिया। यहां दो प्रकार के प्रसाद मिलते हैं दर्खावस्त (या हाजरी), अर्जी
र्खावस्त (हाजरी): इसमें प्रसाद दो बार खरीदा जाता है। जब आप हाजरी लगाते हैं तो आपको तुरंत मंदिर से बाहर निकलना होता है। इस प्रक्रिया के दौरान किसी से बात नहीं करनी होती और पीछे मुड़कर नहीं देखना होता।
अर्जी: अर्जी के प्रसाद में तीन थालियों में प्रसाद रखा जाता है। इसे वापसी के समय, मंदिर से बाहर निकलते वक्त पीछे फेंकना होता है। ऐसी मान्यता है कि प्रसाद को साथ लाकर या उसे न फेंकने पर नकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति के साथ आ सकती है। हालांकि, यह केवल विश्वास पर आधारित बात है और इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
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हर देवता के लिए अलग-अलग प्रसाद
इस मंदिर में तीन मुख्य देवता माने जाते हैं बालाजी (हनुमान जी), प्रेतराज सरकार भैरों बाबा। हर देवता के लिए अलग-अलग प्रकार का भोग चढ़ाया जाता है बालाजी को लड्डू चढ़ाए जाते हैं। प्रेतराज को चावल का भोग अर्पित किया जाता है। भैरों बाबा को उड़द की दाल चढ़ाई जाती है। यह नियम क्यों है इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है लेकिन मान्यता है कि यह परंपरा बहुत प्राचीन है और इनसे विशेष लाभ मिलता है। भूत-प्रेत से पीड़ित लोग जब इन विशेष प्रसादों को ग्रहण करते हैं, तो उनके व्यवहार में बदलाव देखा गया है।
मंदिर से कुछ भी लेकर आना मना है
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से प्रसाद या अन्य वस्तुएं घर लेकर जाना मना है। भक्तों को साफ-साफ हिदायत दी जाती है कि यहां से कोई प्रसाद, फूल, कड़ा, झंडा या अन्य वस्तु खरीदकर अपने घर नहीं ले जानी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से वह नकारात्मक ऊर्जा आपके घर तक पहुंच सकती है। कुछ लोग इन बातों को केवल अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन जो लोग इन नियमों को मानते हैं, उनका अनुभव कुछ अलग ही होता है।
प्रसाद खाने और घर ले जाने का विशेष नियम
भारत के बाकी मंदिरों में लोग प्रसाद को घर ले जाकर खाते हैं, बांटते हैं और यह पुण्य का कार्य माना जाता है। लेकिन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में यह पूरी तरह मना है। यहां न तो प्रसाद को खाया जाता है और न ही उसे घर ले जाया जाता है। प्रसाद को सिर्फ एक विशेष प्रक्रिया के तहत मंदिर परिसर में ही फेंकना होता है। यह नियम क्यों है, इसका भी कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया जाता, लेकिन यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर: आस्था या रहस्य?
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां आस्था, परंपरा और रहस्य का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यहां की हर परंपरा, हर नियम के पीछे कोई न कोई अनदेखी कहानी और आस्था की शक्ति छिपी हुई है। कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं लेकिन जो यहां आकर अनुभव करते हैं उनके लिए यह एक जीवन बदलने वाला अनुभव होता है। अगर आप कभी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाते हैं तो वहां के नियमों और परंपराओं का पालन जरूर करें।