नवजात शिशु को क्यों होता है पीलिया? कारण जानिए और डाॅक्टर की सलाह भी
punjabkesari.in Thursday, Jan 25, 2024 - 07:15 PM (IST)
नवजात शिशुओं को पीलिया होना बहुत ही आम बात है। खासतौर पर नवजात शिशुओं में पीलिया बहुत आम बात है। हालांकि, बाद में यह बच्चे में एक से दो सप्ताह के अंदर आसानी से ठीक भी हो जाता है। लेकिन यदि बच्चों में पीलिया का स्तर बढ़ता है तो उन्हें अस्पताल में भी भर्ती करवाना पड़ सकता है। ऐसे में पेरेंट्स के मन में भी सवाल आता है कि इतनी देखभाल के आखिर शिशु को पीलिया क्यों हो गया। तो चलिए आज आपको इस आर्टिकल के जरिए बताते हैं कि बच्चों को पीलिया क्यों होता है और आप उनका इलाज कैसे कर सकते हैं...
क्यों होता है नवजात शिशुओं को पीलिया?
वैसे तो नवजात शिशुओं पीलिया होने के कई कारण हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो शिशु में पीलिया का मुख्य कारण मां और शिशु का ब्लड ग्रूप अलग-अलग होना होता है। यदि मां का ब्लड ग्रुप नेगेटिव और शिशु का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव है तो उसे पीलिया हो सकता है।
पीलिया के कारण
. शिशुओं को पीलिया बिलीरुबिन नाम के पदार्थ की मात्रा ज्यादा होने के कारण होता है। शरीर में बिलीरूबिन का निर्माण उस समय होता है जब रक्त की लाल रक्त कोशिकाएं टूटने लगती है। इसके कारण लीवर रक्त से बिलीरूबिन को बाहर निकालने लगता है। ऐसे में नवजात शिशुओं में पीलिया होने का मुख्य कारण लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने में सामान्य वृद्धि होना है। वहीं शिशुओं का लीवर भी इमैच्योर होता है जिसके कारण रक्त प्रवाह से बिलीरूबिन नहीं निकल पाता इस कारण बच्चों में पीलिया होता है।
. इसके अलावा यदि मां के खून में किसी तरह की समस्या है तो भी जन्म के बाद शिशु को पीलिया हो सकता है।मां के शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी भ्रुण रक्त की कोशिकाओं पर हमला करता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने की वजह बन सकती है।
. पॉलीसिथेमिया नाम की खतरनाक बीमारी के कारण भी बच्चों में पीलिया हो सकता है। इस बीमारी के कारण रक्त में ज्यादा मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है।
. यदि मां को डायबिटीज है तो भी बच्चे को पीलिया हो सकता है।
लक्षण
. शिशु की त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है।
. आंखे सफेद होना
. यह हाथ, सीने और अंत में पैरों तक फैल सकता है।
. नवजात की हथेलियों के ऊपर और घुटनों के नीचे भी पीलिया के लक्षण दिख सकते हैं।
. पीलिया के कारण शिशु को बुखार आ सकता है। वह बीमार रहने लग सकता है।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
. यदि बच्चे को पीलिया हो गया है तो उसकी घर में ही देखभाल करें।
. यदि बच्चे के हाथ पैरों में पीलिया फैल गया और एक हफ्ते से ज्यादा समय हो गया है तो एक बार डॉक्टर की सलाह ले लें।
. यदि बच्चा ज्यादा बीमार है और खाने से मना करता है, इसके अलावा यदि वह ज्यादा नींद लेता है, उसके हाथ पैर फूल रहे हैं शरीर का तापमान 100.4 डिग्री सेल्सियस या इससे ज्यादा है तो भी एक्सपर्ट्स को दिखाएं।
. यदि बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है और वह नीला पड़ गया है तो उसे हॉस्पिटल ले जाएं।
घरेलू नुस्खे
जन्म के समय बच्चों को पीलिया होना आम बात हालांकि आप कुछ घरेलू तरीकों के जरिए उनका इलाज कर सकते हैं।
स्वस्थ आहार लें
मां नवजात शिशुओं को स्तनपान करवाती है ऐसे में हेल्दी डाइट को फॉलो करें। मां को भी अपनी डाइट में ताजा पौष्टिक, संतुलित आहार शामिल करना चाहिए। इसके लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियां, हफ्ते में एक बार सी फूड, हेल्दी फैट वाले खाद्य पदार्थ, सीड्स, नट्स, फल, मांस और फाइबर युक्त आहार लें। एक्सपर्ट्स की मानें तो मां जब बच्चे को स्तनपान करवाती है तो तो शिशु और मां की त्वचा एक-दूसरे के संपर्क में आती है जिससे बिलीरुबिन का स्तर कम होता है।
शिशु को बार-बार पिलाएं दूध
यदि शिशु को पीलिया है तो उसे बार-बार दूध पिलाएं। नवजात शिशु को बार-बार स्तनपान करवाने से रक्तप्रवाह बढ़ता है और बिलीरुबिन बच्चों के मल और पेशाब के जरिए बाहर निकल सकता है। इसके अलावा पीलिया में बच्चे बहुत सोते हैं यदि आपके बच्चे को पीलिया है तो वह भी बहुत सो सकता है लेकिन उसे दूध पिलाने या खाने के लिए नियमित समय पर जगाएं।
बच्चे को धूप दिलवाएं
यदि शिशु को पीलिया है तो उसे रोज 1-2 घंटे के लिए धूप में रखें। हालांकि इस दौरान उन्हें एकदम तीखी धूप की जगह सुबह-सुबह की धूप में बिठाएं। सूर्य की किरणें बच्चे के रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा कम करने में मदद करेगी।
बच्चे की मालिश करें
शोध की मानें तो हल्की धूप में बच्चे की तेल से मालिश करने से बच्चे को आसानी मल त्याग में मदद मिलेगी इससे बिलीरुबिन को बाहर निकालने में भी सहायता मिलती है।