अयोध्या: 40 साल पुराने संगमरमर से बनी राम दरबार की मूर्तियां, 8 महीनों की मेहनत से हुईं तैयार
punjabkesari.in Thursday, Jun 05, 2025 - 12:11 PM (IST)

नारी डेस्क: अयोध्या के भव्य राम मंदिर में 5 जून को एक ऐतिहासिक क्षण आने वाला है। राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार सहित कई देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इन मूर्तियों को खास बात यह है कि इन्हें करीब 40 साल पुराने संगमरमर के पत्थरों से तराशा गया है।
8 महीने की कठिन साधना से बनीं ये दिव्य मूर्तियां
इन मूर्तियों को प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने तैयार किया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने हर दिन सुबह 2 घंटे प्रभु श्रीराम की परिक्रमा और हनुमान चालीसा का पाठ करके फिर लगातार 10 घंटे मूर्तियों को तराशने का कार्य किया। इस संपूर्ण प्रक्रिया में कुल 8 महीने का समय लगा। मूर्तिकार का उद्देश्य था कि मूर्ति निर्माण सिर्फ शिल्प न होकर भक्ति की साधना बने।
क्यों चुना गया 40 साल पुराना संगमरमर?
राम दरबार की मूर्तियों को ऐसे संगमरमर से तैयार किया गया है जो 40 साल पुराना और बेहद मजबूत है।
इस पत्थर की खास बातें
मौसम की मार सहने की क्षमता
तापमान और नमी से प्रभावित न होना
घर्षण और वजन का संतुलन बनाए रखना
इन सभी पहलुओं की वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में जांच की गई और विशेषज्ञों की सहमति के बाद ही इसे चुना गया।
राम दरबार की मूर्तियों की ऊंचाई और विशेषताएं
राम दरबार की कुल ऊंचाई सिंहासन सहित 7 फीट है। हनुमान जी और भरत की मूर्तियाँ बैठी मुद्रा में हैं, ऊंचाई – 2.5 फीट। लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्तियां खड़ी मुद्रा में हैं, ऊंचाई – 3 फीट। इन सभी मूर्तियों को बारीकी से धार्मिक शास्त्रों के अनुसार आकार दिया गया है।
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राजा राम का हुआ अभिषेक, अब होगा नेत्रोन्मीलन
4 जून को रामलला का देश की 21 पवित्र नदियों के जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद 5 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राम दरबार की मूर्तियों से आवरण हटाएंगे और नेत्रोन्मीलन की प्रक्रिया पूरी करेंगे। यह एक विशेष धार्मिक विधि होती है जिसमें मूर्ति में "प्राण" स्थापित किए जाते हैं।
“सीएम योगी ने लौटाया अयोध्या का गौरव” – शशिकांत दास
सरयू महोत्सव के आयोजक और आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष शशिकांत दास ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का गौरव लौटाया है। उन्होंने प्रभु राम को टाट के घर से निकालकर भव्य राम मंदिर में प्रतिष्ठित किया।
उन्होंने कहा, “त्रेतायुग में वशिष्ठ जी ने श्रीराम का राजतिलक किया था, और आज कलियुग में योगी जी वही कार्य कर रहे हैं – यह बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पल है।”
राम दरबार की ये मूर्तियां केवल पत्थर की नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और कला की अद्भुत मिसाल हैं। सत्यनारायण पांडेय जैसे मूर्तिकारों की साधना और समर्पण से आज राम मंदिर और भी दिव्य रूप में सामने आ रहा है। 5 जून 2025 का दिन रामभक्तों के लिए एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पर्व बन चुका है।