कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाई जाएगी राधा अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
punjabkesari.in Monday, Aug 18, 2025 - 05:55 PM (IST)

नारी डेस्क : राधा अष्टमी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत शुभ और भक्तिमय पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण की परम प्रिय राधा रानी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व जन्माष्टमी के 15 दिन बाद, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। राधा अष्टमी के दिन भक्तगण श्रद्धा और भक्ति के साथ राधा जी की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। इस दिन को राधा जयंती भी कहा जाता है। राधा रानी को भक्ति, प्रेम और त्याग की प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि राधा का जन्म ब्रज क्षेत्र के बरसाना में हुआ था, और वे श्रीकृष्ण की आध्यात्मिक शक्ति (आदि शक्ति) का स्वरूप थीं। इस दिन उनका पूजन करने से जीवन में प्रेम, भक्ति और शांति की प्राप्ति होती है।
राधा अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तारीख: 31 अगस्त 2025 (रविवार)
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 30 अगस्त 2025, रात 10:46 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्ति: 1 सितंबर 2025, रात 12:57 बजे तक
मध्याह्न पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक
अन्य शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:29 से 5:14 बजे
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:56 से 12:47 बजे
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:29 से 3:20 बजे
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:44 से 7:06 बजे
राधा अष्टमी क्यों मनाई जाती है?
राधा अष्टमी का पर्व राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राधा रानी, भगवान कृष्ण की सबसे प्रमुख और परम भक्त हैं। उनका प्रेम और भक्ति भगवान कृष्ण के प्रति अत्यंत शुद्ध और निष्ठावान है। राधा-कृष्ण की जोड़ी आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक मानी जाती है, जो भक्तों के लिए प्रेम, समर्पण और भक्ति की सीख देती है। राधा अष्टमी के दिन भक्त राधा रानी की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है।
राधा अष्टमी की पूजा विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूजा स्थल पर राधा रानी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उन्हें फूल, सिंदूर, चंदन आदि से श्रृंगारित करें। षोडशोपचार पूजा करें जिसमें 16 प्रकार के समर्पण शामिल होते हैं।
मंत्र जाप करें
"ॐ ह्रीं राधिकायै नमः"
"ॐ ह्रीं श्रीं राधाय स्वाहा"
व्रत रखें और फलाहार या एक बार भोजन करें। पूजा के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान करें। मंदिरों में भजन-कीर्तन और शोभा यात्रा का आयोजन होता है।
राधा अष्टमी के दिन विशेष बातें
1. इस दिन राधा रानी के जन्मस्थान बरसाना में विशेष उत्सव होते हैं।
2. झूला उत्सव और रासलीला का आयोजन भी किया जाता है।
3. उपवास और भक्ति से मन को शुद्ध किया जाता है।
4. पारिवारिक सुख-शांति और सौहार्द की कामना की जाती है।
राधा अष्टमी भगवान कृष्ण और राधा जी के प्रेम और भक्ति का पर्व है। यह हमें सिखाता है कि प्रेम और समर्पण की शक्ति से ही जीवन सफल और सार्थक बनता है। 31 अगस्त 2025 को इस पावन अवसर पर आप भी व्रत रखें, पूजा करें और भक्ति के रंग में रंग जाएं।