भारत के 5 रहस्यमय मंदिर! जहां प्रसाद खाना या घर ले जाना सख्त मना, जानिए ऐसा क्यों?

punjabkesari.in Sunday, Nov 30, 2025 - 06:10 PM (IST)

नारी डेस्क : भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, जहां आस्था और परंपराएं लोगों के जीवन का अहम हिस्सा हैं। देश में 7 लाख से अधिक मंदिर हैं, और इनमें से कई मंदिर अपनी अनोखी मान्यताओं और रहस्यमयी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसे ही कुछ मंदिरों में एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है प्रसाद खाना या घर ले जाना वर्जित है। आज हम आपको भारत के 5 ऐसे रहस्यमयी मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां के प्रसाद को केवल प्रतीकात्मक रूप से स्वीकार किया जाता है, लेकिन उसे खाया नहीं जाता।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान

राजस्थान स्थित मेहंदीपुर बालाजी धाम नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान बालाजी को बूंदी के लड्डू और भैरव बाबा को उड़द–चावल का भोग अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर का प्रसाद खाना या घर ले जाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जाएं व्यक्ति के साथ लग सकती हैं। इसी कारण यहां प्रसाद केवल भगवान को अर्पित किया जाता है और भक्त इसे ग्रहण नहीं करते।

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मां कामाख्या देवी मंदिर, असम

असम के गुवाहाटी में स्थित मां कामाख्या देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, जो अपनी अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। देवी के मासिक धर्म के दौरान मंदिर तीन दिनों तक बंद रहता है। मान्यता है कि इन दिनों देवी को विश्राम दिया जाता है, इसलिए इस अवधि में प्रसाद ग्रहण करना वर्जित माना जाता है और भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति भी नहीं होती।

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काल भैरव मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

उज्जैन, मध्य प्रदेश स्थित काल भैरव मंदिर देश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान काल भैरव को शराब का प्रसाद अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि यह प्रसाद केवल भगवान के लिए होता है, इसलिए इसे खाना या घर ले जाना वर्जित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त इस प्रसाद को ग्रहण कर ले, तो उसके जीवन में संकट, बाधाएं और अशुभ घटनाएं बढ़ सकती हैं।

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नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश स्थित नैना देवी मंदिर, जो 52 शक्तिपीठों में से एक है, यहां मां नैना देवी को फल, फूल और मिठाइयों का भोग अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि माता का प्रसाद मंदिर परिसर के भीतर ही ग्रहण करना शुभ माना जाता है। इसे घर ले जाना निषेध है, क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है और परंपराओं के विरुद्ध समझा जाता है।

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कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कर्नाटक

कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित कोटिलिंगेश्वर मंदिर अपनी एक करोड़ शिवलिंगों के लिए प्रसिद्ध है। यहां मिलने वाला प्रसाद केवल प्रतीकात्मक होता है। विशेष रूप से शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद चंडेश्वर को समर्पित होता है, इसलिए इसे ग्रहण करना या खाना सख्त मना माना गया है।

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इन मंदिरों में प्रसाद न खाने के पीछे धार्मिक आस्था, परंपरा और ऊर्जा संतुलन की मान्यताएं जुड़ी हैं। हालांकि वैज्ञानिक रूप से इनका प्रमाण नहीं मिलता, लेकिन श्रद्धालु लाखों वर्षों से इन नियमों का पालन करते आ रहे हैं।


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Monika

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