डायबिटीज के मरीजों के लिए राहत की खबर, अब एक ही इंजेक्शन से ठीक हो जाएगी बीमारी, जानें कैसे?
punjabkesari.in Sunday, Nov 23, 2025 - 05:11 PM (IST)
नारी डेस्क: टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के लिए यह अब तक आजीवन इंसुलिन इंजेक्शन लेने की मजबूरी रही है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर खुद अपनी इंसुलिन बनाने वाली बीटा-कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। लेकिन अब चिकित्सा विज्ञान ने स्टेम-सेल थेरेपी (Stem-Cell Therapy) के जरिए इस बीमारी के इलाज में बड़ी सफलता हासिल की है, जिससे दुनिया भर के मरीजों और डॉक्टरों में नई उम्मीद जगी है।
एमांडा स्मिथ का अनुभव
स्टेम-सेल थेरेपी की सफलता का सबसे जीवंत उदाहरण हैं एमांडा स्मिथ। उन्हें 2015 में टाइप-1 डायबिटीज का पता चला था। इसके बाद उन्होंने स्टेम-सेल आधारित क्लिनिकल ट्रायल VX-880 में हिस्सा लिया। दो साल से वह कोई इंसुलिन इंजेक्शन नहीं ले रही हैं। यह संभव हुआ लैब में तैयार की गई इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं के ट्रांसप्लांटेशन से। येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. केवन हेरॉल्ड अभी इसे पूर्ण इलाज कहने से बच रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि शोध बिल्कुल सही दिशा में है।
स्टेम-सेल थेरेपी कैसे काम करती है
स्टेम-सेल्स शरीर की बहुमुखी कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें किसी भी विशिष्ट कोशिका में बदलने की क्षमता होती है। वैज्ञानिक इन स्टेम-सेल्स को लैब में इस तरह तैयार करते हैं कि वे इंसुलिन बनाने वाली बीटा-कोशिकाओं की तरह काम करने लगें। इन तैयार कोशिकाओं को मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है।

ट्रांसप्लांट के बाद, शरीर खुद से इंसुलिन बनाना शुरू कर देता है। इससे ब्लड शुगर का उतार-चढ़ाव कम होता है और मरीज की बाहरी इंसुलिन पर निर्भरता काफी घट जाती है। यह थेरेपी सिर्फ लक्षणों को कम नहीं करती, बल्कि बीमारी की जड़ तक असर करती है।
चिकित्सा चुनौतियां और जोखिम
हालांकि यह खोज क्रांतिकारी है, इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं। ट्रांसप्लांट की गई नई कोशिकाओं को शरीर अस्वीकार न कर दे, इसके लिए मरीजों को इम्यून-सप्रेशन (प्रतिरक्षा दमन) की दवाइयां लेनी पड़ती हैं। इन दवाओं से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये नई कोशिकाएं शरीर में कितने साल तक प्रभावी रहेंगी। शोधकर्ता ऐसे उपाय ढूंढ रहे हैं, जिससे शरीर इन कोशिकाओं को बिना इम्यून-सप्रेशन दवाओं के अपना ले।
गेम-चेंजर साबित हो सकती है यह खोज
यदि स्टेम-सेल थेरेपी सफलतापूर्वक व्यापक रूप से लागू हो जाती है, तो इसके कई फायदे होंगे टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों को रोजाना इंसुलिन इंजेक्शन नहीं लगाना पड़ेगा। ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना आसान होगा। किडनी, आंखें और नर्व्स जैसी गंभीर जटिलताओं का खतरा कम होगा। बच्चों और किशोरों की जीवन गुणवत्ता बेहतर होगी।इसके अलावा, भविष्य में इस तकनीक का इस्तेमाल हार्ट, लिवर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में भी किया जा सकता है।
इस खोज से डायबिटीज के मरीजों के जीवन में नई उम्मीद जग रही है और यह चिकित्सा जगत में एक संभावित क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।

