एक अपमान ने बदली Priyanka Shukla की जिंदगी , समाज में बदलाव लाने के लिए बनी आईएएस अधिकारी
punjabkesari.in Sunday, Apr 30, 2023 - 01:33 PM (IST)
यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक है। इसे क्रैक कर पाने की कोशिश तो हर साल हजारों लोग करते हैं, लेकिन सफलता सब के हाथ नहीं लगती। लेकिन अगर दृढ़ निश्चय के साथ अपने लक्ष्य को पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करेंगे तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। ऐसी ही है आईएएस ऑफिसर प्रियंका शुक्ला की कहानी जो यूपीएससी परीक्षा 2009 में पास होकर आईएएस बनी। लेकिन हैरानी की बात है कि वो अपनी जिंदगी में अच्छी-खासी सेटल थीं और पेशे से डॉक्टर थीं। लेकिन फिर भी उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने आईएएस ऑफिसर बनने की ठानी। आइए जानते है प्रियंका भी रोजक कहानी...
घर वाले चाहते थे कि प्रियंका आईएएस अधिकारी बने
प्रियंका शुक्ला ने किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (KGMU) से पढ़ाई की और वहीं से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। उनका परिवार हमेशा चाहता था कि वह एक आईएएस अधिकारी बने। उनके पिता हरिद्वार के जिलाधिकारी के नेतृत्व वाले विभाग में कार्यरत थे। प्रियंका कहती हैं कि उनके पिता घर के सामने कलेक्टर के रूप में छपी प्रियंका के नाम वाली नेमप्लेट देखना चाहते थे।
प्रियंका ने एमबीबीएस का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर कर लिया और उन्हें लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला मिल गया। एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने लखनऊ में प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया। वे डॉक्टर बनकर काफी खुश थीं। लेकिन एक घटना या ऐसा कह सकते हैं कि एक अपमान ने उनकी जिंदगी बदल दी।
महिला को नाले का गंदा पानी पीते देख खा गई थीं चक्कर
एक बार प्रियंका स्लम एरिया में चेकअप करने के लिए गईं। वहां एक महिला गंदा पानी पी रही थी और अपने बच्चों को भी पिला रही थी। प्रियंका ने उस महिला से गंदा पानी पीने से मना किया। इस पर उस महिला ने कहा कि क्या तुम कहीं की कलेक्टर हो? यह बात सुनकर प्रियंका अंदर तक हिल गईं और उन्होंने आईएएस बनने का फैसला किया।
पहले प्रयास में प्रियंका को मिली थी असफलता
पहले प्रयास में प्रियंका को यूपीएससी में असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ठान लिया कि वे कलेक्टर ही बनेंगी। आखिरकार साल 2009 में उनका सपना पूरा हो गया।आईएएस ऑफिसर बनने के बाद प्रियंका शुक्ला ने गरीब लोगों की जिंदगी बदलने को अपना लक्ष्य बना लिया है। प्रियंका की ये कहानी ये ही शिक्षा देती है कि जिंदगी में कभी कुछ कर दिखाने के लिए देर नहीं हुई होती।