घर में रहते हैं लड्डू गोपाल तो उन्हें यात्रा पर कैसे ले जाएं? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया नियम

punjabkesari.in Thursday, May 01, 2025 - 02:43 PM (IST)

नारी डेस्क: श्रीकृष्ण के भक्त उनके बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की बड़े प्रेम और श्रद्धा से पूजा करते हैं। लड्डू गोपाल की सेवा करना केवल पूजा नहीं, बल्कि उन्हें अपने बच्चे की तरह मानकर देखभाल करना होता है। भक्त प्रतिदिन उन्हें स्नान कराते हैं, वस्त्र पहनाते हैं, भोग लगाते हैं और उन्हें आराम भी कराते हैं।

लड्डू गोपाल की दैनिक सेवा कैसे करें

सुबह उठाना – भक्त लड्डू गोपाल को सुबह उठाते हैं जैसे किसी छोटे बच्चे को उठाया जाता है।

स्नान कराना – स्नान के लिए गुनगुना जल, साफ वस्त्र और मुलायम तौलिया रखा जाता है।

वस्त्र पहनाना – साफ और सुंदर वस्त्र पहनाना जरूरी होता है। मौसम के अनुसार वस्त्र बदले जाते हैं।

भोग लगाना – स्नान के बाद लड्डू गोपाल को ताजा बना हुआ भोग अर्पित किया जाता है।

आरती और भजन – भोग के बाद आरती और भजन द्वारा प्रभु की पूजा की जाती है।

आराम कराना – दिन के कुछ समय के लिए उन्हें विश्राम भी कराया जाता है, जैसे एक छोटे बच्चे को सुलाया जाता है।

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यात्रा पर लड्डू गोपाल को कैसे ले जाएं

भक्तों की भावना होती है कि वे लड्डू गोपाल को कभी अकेला न छोड़ें। जैसे माता-पिता अपने बच्चे को साथ लेकर जाते हैं, वैसे ही भक्त लड्डू गोपाल को भी साथ ले जाते हैं। लेकिन यात्रा पर ले जाने के कुछ नियम और सावधानियां हैं

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लड्डू गोपाल को साथ ले जाने के समय ध्यान रखने योग्य बातें

उनके लिए साफ वस्त्र, आसन, भोग और जल की व्यवस्था रखें। एक छोटा सा थाल या थैली रखें जिसमें उनका आसन, वस्त्र और पूजा की आवश्यक चीजें हों।अगर आप तीर्थ, मंदिर या धार्मिक स्थान पर जा रहे हैं तो लड्डू गोपाल को साथ ले जाना शुभ माना जाता है। सफर के दौरान अगर संभव हो तो उन्हें समय पर भोग, स्नान और विश्राम दें।

कब लड्डू गोपाल को साथ न ले जाएं

कुछ स्थितियों में लड्डू गोपाल को साथ ले जाना उचित नहीं होता। शास्त्रों और पुराणों में ऐसे स्थानों का उल्लेख किया गया है जहाँ भगवान की मर्यादा रखना कठिन हो जाता है  भीड़भाड़ वाले बाज़ार, सिनेमाघर या बार, अशुद्ध और अशांत वातावरण, यात्रा के दौरान अगर कोई सेवा-संभार की सुविधा नहीं है, इन परिस्थितियों में लड्डू गोपाल को घर पर मंदिर में ही विराजमान रखना चाहिए।

अगर लड्डू गोपाल को साथ न ले जा सकें तो क्या करें?

अगर आप ऐसी जगह जा रहे हैं जहाँ सेवा-संभार संभव नहीं है, तो लड्डू गोपाल को घर में मंदिर में ही छोड़ देना बेहतर होता है। उस समय आप मानसिक पूजा कर सकते हैं। मानसिक पूजा में आप उन्हें मन में याद करते हुए, अपने हृदय में पूजा, भोग और सेवा की कल्पना करते हैं। शास्त्रों में मानसिक पूजा को भी उतना ही महत्व दिया गया है जितना प्रत्यक्ष पूजा को।

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प्रेमानंद जी महाराज का संदेश

वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि,“लड्डू गोपाल की सेवा एक बच्चे की तरह करनी चाहिए, लेकिन यह कभी न भूलें कि वह भगवान हैं। उनकी सेवा और पूजा मनमर्जी से नहीं की जानी चाहिए। शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन जरूरी है, तभी प्रभु प्रसन्न होते हैं।”

लड्डू गोपाल की सेवा में प्रेम और नियम दोनों का संतुलन जरूरी है। यदि आप श्रद्धा से उनकी सेवा करते हैं और यात्रा के समय उनके लिए उचित व्यवस्था कर सकते हैं, तो उन्हें साथ ले जाना उचित है। लेकिन यदि सेवा में कोई कमी हो सकती है, तो उन्हें घर के मंदिर में ही छोड़कर मानसिक रूप से उनकी सेवा करना ही सही होता है।


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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