वृंदावन में धूमधाम से मनाया जाएगा प्रेमानंद जी महाराज का जन्मोत्सव, छह दिन तक होंगे भव्य आयोजन
punjabkesari.in Tuesday, Mar 18, 2025 - 03:34 PM (IST)

नारी डेस्क: प्रेमानंद जी महाराज की आराधना और उनके प्रवचन देशभर में प्रसिद्ध हैं। उनकी उपदेशों और भक्ति के कारण वे न केवल वृंदावन में, बल्कि पूरे देश में सम्मानित हैं। वृंदावन में श्री कृष्ण और राधा की आराधना करने वाले प्रेमानंद जी महाराज के भक्त बड़ी संख्या में उनके दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। इस बार, प्रेमानंद जी महाराज का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा।
जन्मोत्सव की तारीखें और आयोजन स्थल
प्रेमानंद जी महाराज का जन्मोत्सव 25 से 30 मार्च तक वृंदावन में मनाया जाएगा। इस दौरान श्री राधा कलिकुंज में धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे। यह जन्मोत्सव न केवल भक्तों के लिए एक अवसर होगा, बल्कि इसमें कई आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा।
प्रेमानंद जी महाराज के जन्मोत्सव के दौरान उनके दर्शन की समय अवधि में भी बदलाव किया जाएगा। भक्तों को सुबह साढ़े पांच बजे से प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन का अवसर मिलेगा।इस जन्मोत्सव की जानकारी सोशल मीडिया पर भजन मार्ग अकाउंट के माध्यम से भी साझा की गई है। भक्तों से लेकर अन्य श्रद्धालुओं को इस अवसर पर आमंत्रित किया जा रहा है।
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आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन
प्रेमानंद जी महाराज के जन्मोत्सव के दौरान वृंदावन में कई प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें प्रमुख कार्यक्रम हैं नाम संकीर्तन, सत्संग, प्रेमानंद महाराज के दर्शन, मंगल आरती, श्रीजी का झूला दर्शन, श्रीहित चतुरासी जी पाठ, शृंगार आरती, राधा नाम कीर्तन, संध्या वाणी पाठ, दर्शनार्थी कौन-कौन होंगे।
प्रेमानंद जी महाराज के जन्मोत्सव के दौरान श्रद्धालु विभिन्न क्षेत्रों से दर्शन के लिए आएंगे। प्रत्येक दिन अलग-अलग स्थानों से भक्तों का आगमन होगा
पहला दिन (25 मार्च): वृंदावन, गोवर्धन, मथुरा, बृज, बरसाना, आगरा और अलीगढ़ से शिष्य दर्शन करेंगे।
दूसरा दिन (26 मार्च): उत्तर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से श्रद्धालु दर्शन के लिए आएंगे।
तीसरा दिन (27 मार्च): दिल्ली, नोएडा, पंजाब और गुरुग्राम से भक्त दर्शन करेंगे।
चौथा दिन (28 मार्च): हरियाणा, केरल, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, असम, तमिलनाडु, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और बिहार से श्रद्धालु दर्शन करेंगे।
पांचवां दिन (29 मार्च): महाराष्ट्र, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर सहित राजस्थान के भक्त दर्शन करेंगे।
समाप्ति दिवस (30 मार्च): जन्मोत्सव के आखिरी दिन विशेष पूजा-अर्चना और भव्य आयोजन किए जाएंगे, जिनमें भक्तों का उत्साह और भक्ति चरम सीमा पर होगा।
इस तरह प्रेमानंद जी महाराज का जन्मोत्सव धार्मिक आस्था और श्रद्धा का एक अद्वितीय पर्व बन जाएगा।