सिद्धियों की देवी कहलाती है मां सिद्धिदात्री, जानिए देवी दुर्गा के नौंवे स्वरुप की कथा

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2024 - 05:10 PM (IST)

नवरात्रि का समापन नौंवे दिन के साथ हो जाएगा। नौ दिन तक चलने वाले इन पावन दिनों में देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरुप की पूजा की जाती है। वहीं नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा के नौंवे स्वरुप देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के आखिरी स्वरुप के तौर पर जानी जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के आखिरी दिन जो भी भक्त पूरे विधि-विधान और निष्ठा के साथ मां की उपासना करता है उसे सारी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिरी दिन आप देवी की पूजा कैसे कर सकते हैं। 

ऐसा है मां का स्वरुप 

देवी के स्वरुप की बात करें तो मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर विराजमान है। मां का वाहन शेर है और इनकी चार भुजाएं हैं। मां की दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा, दूसरी भुजा में चक्र, बाई ओर की भुजा में कमल और शंख विराजमान हैं। मां को माता सरस्वती के रुप भी माना जाता है। शास्त्रों की मानें तो मां सिद्धिदात्रि के पास अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नाम की सिद्धियां है जो भक्त देवी की पूजा श्रद्धा भाव से करता है उसे इन सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

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भगवान शिव को मिली हैं मां से सिद्धियां 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी सभी तरह की सिद्धियों को देने वाली हैं। देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इनकी देवी की कृपा से ही सिद्धियों को प्राप्त किया था। देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। नवरात्रि के नौंवे दिन सिद्धिदात्री मां की पूजा करने के लिए उन्हें नवरस युक्त भोजन और नवाहन का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।  

मां की पूजा विधि

इस दिन लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति या तस्वीर रखें। फिर तस्वीर के चारों ओर गंगाजल के साथ छिड़काव करें। इसके बाद मां को पूजा सामग्री अर्पित करके हवन करें। हवन करते हुए देवी-देवताओं के नाम की आहुति भी दें। हवन के बाद मां की आरती उतारें और फिर परिवार के साथ देवी मां के जयकारे लगाएं। इसके बाद कन्या पूजन शुरु करें। मां को भोग के तौर पर हलवा और चना जरुर खिलाएं। 

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नौंवे दिन में कन्या पूजन का महत्व 

नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए। कन्याओं के साथ इस दिन लांगूरा भी होना चाहिए। कन्याओं को आदर सत्कार के साथ बुलाकर उनके पैरों को जल से धोकर कुमकुम और सिंदूर का टिका लगाएं और फिर कन्याओं का आशीर्वाद लें। फिर भोजन के लिए कन्या और लांगूरा को हलवा-चना और पूरी आदि फल दें। भोजन के बाद कन्याओं को लाल चुनरी दें और अपनी सामर्थ्य के अनुसार, दान दक्षिणा दें। फिर पूरे परिवार के साथ कन्या और लांगूरा के चरण छुएं। मां के जयकारे लगाते हुए कन्या और लांगूरा विदा करें। ऐसा माना जाता है कि इससे देवी मां की विशेष कृपा मिलती है घर के सारे सदस्यों की उन्नति होती है। 

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palak

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