पीतल के बर्तन क्यों माने जाते हैं पवित्र और किन कामों में करें इस्तेमाल?

punjabkesari.in Tuesday, Sep 02, 2025 - 06:04 PM (IST)

नारी डेस्क : भारत में धातुओं के बर्तनों का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों की नजर से खास महत्व है। इन्हीं में से एक है पीतल (Brass), जिसे हर घर में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में पवित्र माना जाता है। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या पीतल के बर्तनों का रोजाना खाने-पीने में इस्तेमाल सही है? आइए विस्तार से जानते हैं।

धार्मिक मान्यता में पीतल का महत्व

धार्मिक मान्यताओं में पीतल का महत्व बहुत गहरा माना गया है। प्राचीन वेदों और आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे भगवान धन्वंतरि का प्रिय पात्र बताया गया है। महाभारत के अनुसार सूर्य देव ने द्रौपदी को वरदान स्वरूप पीतल का अक्षय पात्र दिया था, जिसमें अन्न कभी समाप्त नहीं होता था। ज्योतिष शास्त्र में पीतल को गुरु ग्रह बृहस्पति से जोड़ा गया है, इसी कारण इसे शुभ और मंगलकारी माना जाता है। यही वजह है कि कन्यादान, भगवान को भोग लगाने, शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से लेकर हर धार्मिक अनुष्ठान में पीतल के बर्तनों का प्रयोग होता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के संस्कारों में पीतल की थालियां, कलश और अन्य पात्रों का विशेष महत्व बना रहता है।

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सेहत की दृष्टि से पीतल के फायदे

सेहत की दृष्टि से भी पीतल के बर्तन बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। इनमें बना भोजन न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह शरीर को ऊर्जा और तेज प्रदान करता है। यह धातु काफी मजबूत और टिकाऊ होती है, इसलिए लंबे समय तक सुरक्षित रूप से उपयोग की जा सकती है। आयुर्वेद के अनुसार, पीतल के बर्तनों में भोजन करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है। 

कब करें पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल?

पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही विभिन्न कार्यों में किया जाता रहा है और आज भी यह परंपरा जीवित है। पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में तो इनका महत्व विशेष रूप से माना जाता है, क्योंकि इन्हें शुद्ध और पवित्र धातु माना जाता है। कलश या लोटे के रूप में जल संग्रह करने के लिए पीतल का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है, जिससे पूजा के समय गंगाजल या पवित्र जल लंबे समय तक शुद्ध बना रहता है। इसके अलावा सूखे पदार्थ जैसे अनाज, मिठाई या फल रखने के लिए भी पीतल के पात्र आदर्श माने जाते हैं, क्योंकि इनमें रखा सामान लंबे समय तक सुरक्षित रहता है और जल्दी खराब नहीं होता। सामान्य भोजन परोसने के लिए भी पीतल की थालियां, कटोरियां या गिलास का उपयोग किया जा सकता है।

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किन चीजों के लिए न करें इस्तेमाल?

हालांकि पीतल के बर्तन शुद्ध और पवित्र माने जाते हैं, लेकिन रोजाना के खाने-पकाने में इनका इस्तेमाल हर चीज के लिए सही नहीं होता। खासतौर पर दही, छाछ, लस्सी और दूध जैसे दुग्ध उत्पादों को पीतल के बर्तनों में नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा अचार और खट्टे या अम्लीय पदार्थ जैसे नींबू, इमली और टमाटर भी इसमें सुरक्षित नहीं रहते। इन चीज़ों को पीतल में रखने से धातु के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया हो सकती है, जिससे भोजन की गुणवत्ता खराब हो जाती है और यह शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए पीतल का इस्तेमाल केवल उन्हीं खाद्य पदार्थों या कार्यों के लिए करना चाहिए, जो इसमें सुरक्षित और लाभकारी हों।

पीतल के बर्तन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद पवित्र माने जाते हैं। पूजा-पाठ, मांगलिक कार्य और सामान्य भोजन परोसने के लिए यह उत्तम विकल्प हैं। हालांकि खट्टे और दूध से बने पदार्थों को इसमें रखने से बचना चाहिए। सही तरीके से इस्तेमाल करने पर पीतल के बर्तन आपकी सेहत और जीवन दोनों में शुभता लाते हैं।
 


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Content Editor

Monika

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