संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए करें ये व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूरी पूजा विधि
punjabkesari.in Tuesday, Nov 18, 2025 - 02:17 PM (IST)
नारी डेस्क : सनातन धर्म में पौष मास अत्यंत पवित्र माना गया है। इस माह में आने वाली पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह व्रत संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और परिवार में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देने वाला माना गया है। शास्त्रों के अनुसार जो दंपत्ति योग्य और स्वस्थ संतान की इच्छा रखते हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
कब है पौष पुत्रदा एकादशी?
पंचांग के अनुसार: एकादशी प्रारंभ: 30 दिसंबर 2025, सुबह 07:50 बजे
समापन: 31 दिसंबर 2025, सुबह 05:00 बजे
सामान्य गृहस्थ 30 दिसंबर को व्रत रखेंगे।
वैष्णव संप्रदाय की परंपरा के अनुसार यह एकादशी 31 दिसंबर को मानी जाएगी।
व्रत पारण का समय
31 दिसंबर 2025 को दोपहर 01:29 बजे से 03:33 बजे के बीच व्रत खोला जाए।
इस समय भगवान विष्णु को तिल, पंचामृत, तुलसी पत्र और फलों का भोग लगाकर व्रत पूर्ण किया जाता है।

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व
यह एकादशी वर्ष में दो बार आती है।
पहली सावन मास में
दूसरी पौष मास में
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शास्त्रों में वर्णित है कि इस व्रत के प्रभाव से—
दंपति को योग्य, स्वस्थ और दीर्घायु संतान का आशीर्वाद मिलता है
परिवार में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं
घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है
पापों से मुक्ति और मन की शुद्धि होती है
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करके साधक अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता का अनुभव करते हैं।

पौष पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
सुबह स्नान व संकल्प
व्रतधारी को सुबह स्नान करके शरीर और मन की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। इसके बाद विष्णुभक्त भाव से भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लिया जाता है। यह संकल्प व्रत की सफलता और भगवान की कृपा प्राप्त करने का प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जाता है।
भगवान विष्णु की विधिवत पूजा
भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के लिए सबसे पहले स्वच्छ मन से संकल्प लें और पूजा स्थान को शुद्ध करें। पूजा में पीले चंदन, रोली, अक्षत, मोली, पीले पुष्प और ऋतुफलों का विशेष रूप से प्रयोग करना शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु को मिष्ठान अर्पित करें और श्रद्धा के साथ उनकी आरती उतारें। पूजा के अंत में दीपदान अवश्य करें, क्योंकि दीपदान को विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त करने का अत्यंत पावन माध्यम माना गया है। इस प्रकार विधिवत पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और मन की शांति प्राप्त होती है।
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दंपत्ति ऐसे करें संतान प्राप्ति की विशेष पूजा
संतान की कामना रखने वाले दंपत्ति स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें और बाल कृष्ण की भक्तिभाव से पूजा करें। इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करें, क्योंकि यह मंत्र संतान प्राप्ति में अत्यंत प्रभावशाली और फलदायी माना गया है। नियमित रूप से की गई यह पूजा दंपत्तियों की मनोकामना पूर्ण करने में सहायक मानी जाती है।

इस मंत्र का करें जाप: ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’
इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति, पुण्य और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इसके साथ विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है।
व्रत पारण: द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं, इसके बाद स्वयं भोजन करें। यही व्रत के पूर्ण होने की परंपरागत विधि है।

