कभी गन्ने के खेत में दौड़ लगाती थी पारुल, पिता बोले- पता नहीं था बेटी की जिद देश को सोने से चमका देगी
punjabkesari.in Friday, Nov 24, 2023 - 04:27 PM (IST)
एशियाई खेलों में महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाली पारूल चौधरी के मेरठ स्थित गांव में जश्न का माहौल है और उनके पिता को यकीन नहीं हो रहा है कि उनकी बेटी का शौक एक दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करेगा। पारुल के पदक जीतने के बाद इकलौता गांव में उनके परिजनों को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है और मिठाई बांटकर जश्न मनाया जा रहा है।
From🥈 to🥇in the blink of an eye!
— Central Bureau of Communication, Chandigarh (@CBC_Chandigarh) October 3, 2023
Just 24 hours after securing silver in the Women's 3000m Steeplechase, she blazes to GOLD🥇 in the Women's 5000m!
Hats off to her indomitable spirit!#ParulChaudhary is on 🔥@WeAreTeamIndia @afiindia @afiindiagroup #AsianGames2022 @Adille1 https://t.co/1RGeoMX9FJ pic.twitter.com/rJFNHYAuew
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पारूल चौधरी को इस शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी है । उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा- ''एशियाई खेलों में महिलाओं की 5000 मीटर में स्वर्ण पदक जीतने के लिए पारुल चौधरी को बधाई! 15 मिनट 14.75 सेकेंड के समय के साथ आपके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने देश को गौरवान्वित किया है। आपके भविष्य के प्रयासों में सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं।''
इधर पारुल चौधरी के स्वर्ण पदक जीतने की खबर जैसे ही जिले के कैलाश प्रकाश स्टेडियम पहुंची तो वहां अभ्यास कर रहे खिलाड़ियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। पारुल के साथ अभ्यास करने वाले साथी खिलाड़ियों ने स्टेडियम में मिठाई बांटकर अपनी खुशी जाहिर की। पारुल के पिता कृष्ण पाल ने कहा कि ‘‘उनकी बेटी का सपना ओलंपिक में देश के लिए खेल कर जीतना है। मैंने उससे कहा बिटिया अब शादी कर लो। ताकि हम अपना फर्ज पूरा करें। लेकिन बिटिया ने कहा कि पापा जब तक मैं ओलंपिक में खेलकर भारत का नाम नहीं रोशन कर दूंगी तब तक मैं शादी नहीं करुंगी। पारुल ने बचपन में काफी परेशानी से अपना वक्त गुजारा। वह लंबा रास्ता तय करके अभ्यास के लिए कैलाश प्रकाश स्टेडियम पहुंचती थी।''
कृष्णपाल ने कहा-‘‘मेरी बेटी कभी शौक से खेतों में दौड़ा करती थी। मुझे नहीं पता था कि एक दिन उसका यह शौक देश का गौरव बन जाएगा।'' पारुल चौधरी की प्रेरणा उनकी बड़ी बहन प्रीति थी। वह भी धाविका थी और राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में पदक जीता था। पारुल बड़ी बहन के साथ ही स्टेडियम में अभ्यास के लिए आया करती थीं। उनके पिता कृष्ण पाल सिंह किसान हैं और माता राजेश देवी गृहणी हैं। पारुल के कोच रहे गौरव ने बताया कि शुरू में वह लड़कों के साथ अभ्यास करती थी। जिसका लाभ पारुल चौधरी को अब मिल रहा है।