सर्वाइकल Cancer को खत्म करेगा सिर्फ एक इंजेक्शन!
punjabkesari.in Saturday, Feb 15, 2020 - 03:02 PM (IST)
भारत देश में महिलाएं सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर का शिकार हो रही है। इसके कारण कई महिलाएं अपनी जान भी गवां चुकी है। एक रिसर्च के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम तरह का कैंसर है। समय रहते इसकी पहचान हो जाने पर इसका इलाज किया जा सकता है। वहीं, तीसरे या चौथे स्टेज के कैंसर से लड़ पाना बेहद मुश्किुल होता है। ऐसे में एक शोध के मुताबिक इससे बचने के लिए एक ऐसे इंजेकशन को बनाया गया है जिससे सर्वाइकल कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है।
इस इंजेकशन का नाम ह्यूमन पैपिलोमा वायरस वैक्सीन है। इस इंजेकशन की एक डोज से ही सर्वाइकल कैंसर के होने का खतरा एक-तिहाई तक कम हो जाता है। एक शोध के अनुसार, इस वैकिनेशन का 1,33,082 लड़कियों पर टेस्ट किया गया। ऐसे में यह टेस्ट उन लड़कियां पर किया गया जिनकी उम्र 15 से 19 साल के बीच थी। इस टेस्ट में आधी लड़कियों को इंजेक्शन के एक, दो ओर तीन डोज दिए गए। इसके साथ ही लड़कियों को 5 साल बाद इंजेकशन नहीं दिए गए। ऐसे में उनमें से 2.65 प्रतिशत युवतियां पहले से ही प्री-इन्वेसिव सर्वाइकल कैंसर का शिकार थी लेकिन इंजेक्शन की डोज लेने वाली लड़कियों का आंकड़ा 1.62 प्रतिशत ही था। ऐसे में इस इंजेकशन को अपनी बच्चियों को लगवाना न भूलें।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
-यह कैंसर गर्भाशय के नीचे वाले हिस्से में ग्रीवा की कोशिकाओं में पाया जाता है।
-यह पेपीलोमा वायरस के कारण होता है इसके शुरूआती लक्षणों की पहचान कर लेने से इस पर काबू पाया जा सकता है।
-इस स्थिति में गुप्तांग से बिना किसी कारम अत्याधिक ब्लड फ्लो होता है।
-इन हिस्सों में लगातार बदबू और खुजली होने लगती है।
-महिलाओं को बार-बार यूरिन आने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
-भारी मात्रा में थकान और ऊर्जा की कमी होने लगती है।
-बॉडी में दर्द रहता है।
ऐसे में इन लक्षणों के दिखने या महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
सावधानियां
- पर्सनल हाइजीन का अच्छे से ध्यान रखें।
- जिन लोगों को धूम्रपान और शराब पीने की आदत है उन्हें इससे दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
- खाने में हैल्दी और संतुलित डाइट लें जैसे कि हरे पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल, अनकुरित दालें आदि।
- वजन पर विशेष ध्यान दें बड़े हुए वजन से बीमारियों के होने का खतरा बढ़ता है।
- इसके साथ ही जिन लड़कियों की उम्र 21 साल या इससे ज्यादा है उन्हें हर तीन साल में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट जरूर करवाने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट में ग्रीवा की कोशिकाओं से छोटे से सैम्पल को लिया जाता है।