यहां खाना तो दूर कोई देखता भी नहीं प्याज, दुकानों पर बेचना भी Ban
punjabkesari.in Tuesday, Apr 08, 2025 - 08:34 PM (IST)

नारी डेस्कः सब्जी में प्याज का छौंका (तड़का) ना लगे तो स्वाद नहीं आता। भारत में ज्यादातर लोग प्याज का सेवन करते हैं। लगभग हर सब्जी में प्याज का इस्तेमाल किया ही जाता है और तो और प्याज का सलाद, सिरका प्याज, इसका कई अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है लेकिन भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां कोई भी प्याज नहीं खाता और तो और दुकानों पर भी कोई प्याज नहीं रखता।
प्याज पर बैन
जी हां, जिस जगह की बात हम कर रहे हैं वहां पर प्याज पूरी तरह से बैन है। यहां ना तो कोई प्याज खाता है और ना किसी और को खिला सकता है।
जम्मू का शहर कटरा
जी हां, हम बात कर रहे हैं जम्मू के शहर कटरा की। यहां सरकार ने प्याज बेचने तक पर बैन लगा रखा है। यहां इसी जगह हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थल माता वैष्णों देवी की यात्रा शुरू होती है। इसीलिए हिंदूओं की आस्था को देखते हुए प्रशासन ने जम्मू के कटरा शहर मे प्याज पर पूरी तरह से बैन लगा रखा है। कटरा में आपको ना तो किसी होटल के पकवानों में प्याज मिलेगा और ना ही किसी दुकान पर प्याज मिलेगा।
कौन से लोग धार्मिक कारणों से प्याज नहीं खाते
कुछ लोग धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से प्याज (और लहसुन) का सेवन नहीं करते हैं। इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं, जीवनशैली और सात्विक भोजन की अवधारणाएं जुड़ी होती हैं। आइए जानें कि किन-किन समुदायों और परंपराओं में प्याज से परहेज़ किया जाता है:
1. जैन धर्म (Jainism)
जैन धर्म में प्याज और लहसुन पूरी तरह वर्जित हैं।
इनका कारण है कि ये भूमिगत (अंडरग्राउंड) होते हैं, जिन्हें निकालते समय कई छोटे जीवों की हत्या हो सकती है।
जैन धर्म में अहिंसा का अत्यधिक महत्व है, इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों से बचा जाता है जिनमें हिंसा का कोई भी रूप शामिल हो।
साथ ही, प्याज-लहसुन को "तामसिक" माना जाता है, जो मानसिक अशांति और वासना बढ़ा सकते हैं।
2. हिंदू धर्म के वैष्णव संप्रदाय
कई वैष्णव भक्त, विशेष रूप से इस्कॉन (ISKCON) अनुयायी, सात्विक आहार अपनाते हैं।
इसमें प्याज और लहसुन वर्जित माने जाते हैं क्योंकि ये भोजन को तामसिक और राजसिक बनाते हैं।
सात्विक भोजन मानसिक शांति, भक्ति और ध्यान के लिए अनुकूल माना जाता है।
3. स्वामी नारायण संप्रदाय (Swaminarayan sect)
इस संप्रदाय के अनुयायी भी प्याज-लहसुन नहीं खाते।
उनके अनुसार, यह शरीर में काम, क्रोध और आलस्य जैसे दोषों को बढ़ाता है, जो आध्यात्मिक साधना में बाधा बन सकते हैं।
4. योगी और साधु (Spiritual Practitioners)
कई योगी, तपस्वी और ध्यान-साधक प्याज और लहसुन का परहेज करते हैं।
इनका मानना है कि ये मानसिक रूप से अस्थिरता और चंचलता लाते हैं, जो ध्यान और समाधि के लिए ठीक नहीं।
5. कुछ ब्राह्मण परिवार और धार्मिक अनुष्ठानों में
कुछ विशेष अवसरों पर जैसे पूजा, व्रत, एकादशी, नवरात्रि आदि में प्याज-लहसुन से परहेज़ किया जाता है।
इसे शुद्ध और सात्विक आहार बनाए रखने के लिए जरूरी माना जाता है।
प्याज क्यों माना जाता है तामसिक?
आयुर्वेद में प्याज और लहसुन को तामसिक और राजसिक गुणों से युक्त बताया गया है। यह वासना, क्रोध, उत्तेजना और मानसिक अशांति को बढ़ा सकता है। जो लोग आध्यात्मिक जीवन, ध्यान, साधना या सात्विकता की ओर अग्रसर होते हैं, वे अक्सर प्याज और लहसुन से दूर रहते हैं। हालांकि यह व्यक्तिगत आस्था, परंपरा और जीवनशैली पर निर्भर करता है।