सावन के महीने में इस ज्‍योत‍िर्लिंग का सिर्फ नाम लेने से कष्ट होते हैं दूर

punjabkesari.in Wednesday, Jul 29, 2020 - 06:35 PM (IST)

शिव जी की महिमा को भला कौन नहीं जानता। वे तो अपने भक्तों द्वारा फूल, पत्ते चढ़ाने पर भी खुश होे जाते हैं। शायद तभी उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता हैं। मान्यता है कि उनके प्रिय महीने यानि सावन में सच्चे मन से उनके ज्‍योत‍िर्लिंग स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव जी उनकी मनोकामना को पूरा कर देते हैं। तो चलिए आज हम आपको उनके ज्‍योत‍िर्लिंग के बारे में बताते है जिनकी महिमा अपरम्पा है।

nari,PunjabKesari

कौन सा है ज्योतिर्लिंग?

यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव जी के 12 ज्योतिर्लग में से चौथा माना जाता है। यह इंदौर से लगभग 77 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित है। यह ओंकारेश्वर नाम से प्रसिद्ध है। औंकार यानि ऊं के आकार का। इस कारण भगवन भोलेनाथ इस नाम से पूजे जाते हैं। वैसे तो यहां पूरे साल ही भक्तों की भीड़ जमा रहती हैं। मगर सावन के महीने में यहां खासतौर पर पूजा करने का महत्व है। इसलिए इस पवित्र महीने में दूर- दूर से भक्तजन आकर भगवान के इस स्वरूप की पूजा कर अपनी मनोकामना की पूर्ति करते है। धार्मिक ग्रंथ शिवपुराण के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग भी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग का सावन के महीने में के नाम ही लेने से जीवन की परेशाानियों का हल हो जाता है। 

कहा जाता है ओंकार-मांधाता

यह ज्योतिर्लिंग पहाड़ी पर बना है। साथ ही इस पहाड़ी के चारों तरफ नदी बहती हुई ओम का आकार बनाती है। यह नर्मदा नदी है जो दो धाराओँ में बंट कर बहती है। इसके ठीक बीच में एक टापू की तरह जगह बनी है, जो मांधात पर्वत या शिवपुरी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इसी नदी के किनारे पर राजा मांधाता ने तपस्या की थी। जब शिव जी ने खुश होकर उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा था जब राजा ने उनके इसी स्थान को मांग लिया था। उसी के बाद यह पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ ओंकार-मांधाता के नाम से जानी जाने लगी। 

nari,PunjabKesari

धन के देवता कुबेर ने भी की थी तपस्या

पौराणिक कथा के अनुसार धन के देवता कहे जाने वाले कुबेर ने भी शिव जी की कृपा पाने के लिए इसी जगह पर घोर तपस्या की थी। अपनी तपस्या को करने के लिए कुबेर देव ने यहां पर एक शिवलिंग की स्थापना की थी। तब उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न होक उन्‍हें धन का देवता बना द‍िया था। इसके साथ ही भगवान शिव ने कुबेर के नहाने के लिए अपनी जटाओं के बालों द्वारा पवित्र कावेर उत्पन्न की थी। यह वहीं नदी हैं जो यहां नर्मदा नदी के साथ मिलती है।

nari,PunjabKesari

नदी करती है पर‍िक्रमा

यहां कावेरी नदी  प्रसिद्ध ओंमकार पर्वत की एक पर‍िक्रमा करती है। फिर दोबारा  नर्मदा नदी में मिल जाती है। इसी कारण यहां चातुर्मास के खत्म होने के बाद धनतेरस पर खास पूजा की जाती है। यहां आपको बता दें क‍ि नर्मदा क्षेत्र में ओंकारेश्वर सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना जाता है। माना जाता है क कोई भी भक्त चाहे देश के सारे तीर्थ कर ले मगर वह जब तक ओंकारेश्वर आकर भगवान शिव जी के दर्शन कर जल से उनका अभिषेक नहीं करता तब तक उसके द्वारा किए सारे तीर्थ अधूरे माने जाएंगे। ओंकारेश्वर तीर्थ के साथ नर्मदा नदी को भी विशेष महत्व दिया जाता है। मान्‍यताओं के अनुसार यमुना नदी में 15 दिन, गंगा नदी में 7 दिन स्नान करने से शुभ फल मिलता है। मगर नर्मदा नदी के सिर्फ दर्शन मात्र से शुभ फल की प्राप्ति होती है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

neetu

Related News

static