महार्षि कात्यान के घर जन्मी थी देवी कात्यानी, जानिए मां दुर्गा के छठे स्वरुप की पूजा विधि
punjabkesari.in Saturday, Apr 13, 2024 - 05:36 PM (IST)
इन दिनों चैत्र नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं। ऐसे में पूरा देश इस समय देवी दुर्गा की उपासना कर रहा है। नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की समर्पित हैं। नवरात्रि का छठा स्वरुप मां कात्यानी का माना जाता है। मां कात्यानी को देवी दुर्गा के छठे रुप में पूजा जाता है। देवी की पूजा करने से भक्तों को धर्म, काम और मोक्ष प्राप्त होता है। मां का स्वरुप बहुत ही भव्य और दिव्य है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से यदि मां की पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। तो चलिए आज आपको बताते हैं इस दिन आप मां को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं।
महार्षि कात्यान के घर हुआ था देवी का जन्म
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कत नाम के प्रसिद्ध महार्षि थे। उनके पुत्र महार्षि कात्यान ने लंबे समय तक मां की उपासना की। महार्षि कात्यायन चाहते थे कि देवी दुर्गा उनके घर पुत्री के रुप में जन्म ले। इसके लिए ऋषि ने कई सालों तक कठिन तपस्या की थी। महार्षि कात्यान की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय बाद जब दानव महिषासुर का धरती पर अत्याचार बढ़ा तो भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए देवी को उत्पन्न किया। महार्षि कात्यान की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय बाद जब दानव महिषासुर का धरती पर अत्याचार बढ़ा तो भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए देवी को उत्पन्न किया।
सिंह पर सवार है मां कात्यानी
मां कात्यानी के स्वरुप की बात करें तो देवी सिंह पर सवार हैं। उनकी चार भुजाएं हैं। दो भुजाओं में मां की कमल और तलवार है। वहीं मां की एक भुजा में वर मुद्रा, दूसरी भुजा अभय मुद्रा में है। मां कात्यानी का प्रिय रंग लाल है। इस दिन देवी को लाल रंग का गुलाब का फूल अर्पित करें। इससे भगवती मां की कृपा बनती है।
मां को लगाएं इस चीज का भोग
मां कात्यानी को शहद बहुत ही पसंद है। इससे देवी खुश होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस विधि से करें मां की पूजा
नवरात्रि के छठे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर मां की प्रति को शुद्ध जल और गंगाजल से स्नान करवाएं। इसके बाद देवी को पीले वस्त्र पहनाएं। मां को पीले रंग के फूल अर्पित करें। मां को रोली और सिंदूर का तिलक लगाएं और पांच प्रकार के फल और मिष्ठान मां को समर्पित करें। इसके बाद देवी के मंत्रों का जाप करें।