अब बदल जाएगी फेसबुक की दुनिया, META होगा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का नया नाम
punjabkesari.in Friday, Oct 29, 2021 - 10:58 AM (IST)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने आखिरकार अपनी कंपनी का नाम बदल दिया है। कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक का नाम अब मेटा रख दिया है। मेटावर्स का मतलब एक ऑनलाइन दुनिया से है, जहां लोग वर्चुअली गेम खेल सकते हैं, काम कर सकते हैं और संपर्क स्थापित कर सकते हैं। इससे पहले 2005 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब TheFacebook से बदलकर Facebook कर दिया गया था।
जुकरबर्ग ने किया ऐलान
जुकरबर्ग ने नाम की घोषणा करते हुए कहा कि- मुझे गर्व हो रहा है कि आज से हमारी कंपनी मेटा है। हमारा मिशन वही है। हमारे एप्स और ब्रांड के नाम नहीं बदल रहे हैं। आज हम एक सोशल मीडिया कंपनी के नाम से जाने जाते हैं, लेकिन डीएनए के हिसाब से हम एक ऐसी कंपनी हैं जो लोगों को जोड़ने वाली टेक्नोलॉजी विकसित करती हैं। 'जुकरबर्ग का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि अगले दशक के भीतर ‘मेटावर्स’ एक अरब लोगों तक पहुंच जाएगा। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म होगा जिस पर लोग संवाद करेंगे तथा उत्पाद एवं सामग्री तैयार करने के लिए कार्य कर सकेंगे।
लोग कर रहे आलाेचना
हालांकि आलोचकों की मानें तो फेसबुक पेपर्स से दस्तावेज लीक होने से पैदा हुए विवाद से ध्यान भटकाने के लिए ये सब कर रही है। यह घोषणा ऐसे समय पर आयी है जब फेसबुक अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है। फेसबुक पेपर्स में खुलासे के बाद इसे दुनिया के कई हिस्सों में जांच का सामना करना पड़ रहा है। ज़करबर्ग जिस तरह से अपनी सोशल मीडिया कंपनी चला रहा हैं, उसकी लगातार आलोचना हो रही है, अब देखना यह है कि ये नया बदलाव क्या रंग लाता है।
क्या होंगे बदलाव
कंपनी की सिर्फ ब्रांडिंग बदली है। कंपनी के हेडक्वॉटर पर मेटा लिखा जाएगा ना कि फेसबुक। फेसबुक एप का नाम नहीं बदल रहा है और ना ही इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और मैसेंजर का नाम बदल रहा है। कंपनी के विभिन्न पदों में भी कोई बदलाव नहीं होगा। जुकरबर्ग का दावा है कि मेटावर्स टेक्नोलॉजी के जरिए लाखों लोगों को नौकरी मिलेगी।
आखिर है क्या मेटावर्स
मेटावर्स एक वर्चुअल दुनिया है, जहां एक आदमी शारीरिक तौर पर मौजूद नहीं होते हुए भी मौजूद रह सकता है। इसके लिए वर्चुअल रियल्टी का इस्तेमाल किया जाता है। मेटावर्स की कल्पना एक ऐसी चीज के रूप में की जा रही है जिसमें आप अपने घर बैठे अपनी पसंद की दुनिया या जगह पर पहुंचकर उसका लाइव आनंद ले सकते हैं। इसमें आप डिजिटल क्लॉथिंग के जरिए एक वर्जुअल दुनिया में एंट्री कर लेंगे। मेटावर्स का इस्तेमाल पहले से गेमिंग के लिए भी हो रहा है।
1992 में हुआ था इस शब्द का इस्तेमाल
बता दें कि साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल 1992 में अपने नोबेल 'स्नो क्रैश' में किया था। फेसबुक की मानें तो मेटावर्स को तैयार करन में एक दशक से ज्यादा का वक्त लगेगा। इसके विकास के लिए कुछ कंपनियों ने 50 मिलियन डॉलर (लगभग 376 करोड़ रुपए) की फंडिंग की है।