याददाश्त कमजोर करता है मोटापा, जानिए क्या कहती है रिसर्च
punjabkesari.in Sunday, Mar 01, 2020 - 04:44 PM (IST)
मोटापा किसी महामारी की तरह फैलता जा रहा है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि मोटापे से बच्चों की याददाश्त भी कमजोर होती है। अध्ययन की मानें तो मोटापे से ग्रस्त बच्चों के सामान्य वजन वाले बच्चों के मुकाबले न सिर्फ याददाश्त कमजोर होती है बल्कि उन्हें सोचने और योजना बनाने में भी काफी अड़चनें आती है।
मोटापे में होने वाली स्वास्थ्य परेशानियों को लेकर कई शोध किए गए हैं लेकिन हाल ही में किया गया एक शोध अभिभावकों को परेशानी में डाल सकता है। वेरमांट युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा मोटापे से बच्चे को दिमाग पर कितना असर पड़ता है इस पर शोध किए गए हैं लेकिन हाल ही में किया गया एक शोध अभिभावकों को परेशानी में डाल सकता है। वेरमांट यूनिवर्सिटी और येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा मोटापे से बच्चे के दिमाग पर कितना असर पड़ता है। इस पर शोध किया गया। इस अध्ययन ने वैज्ञानिकों की इससे पहले हुई एक स्टडी को सपोर्ट किया, जिसमें कहा गया था कि ज्यादा बॉडी मास इंडैक्स (बी.एस.आई.) वाले बच्चों की वर्किंग मैमोरी कमजोर होती है। शोधकर्ता जैनिफर लॉरेंट ने बताया कि ज्यादा बी.एम.आई. से बच्चों का 'सेरेब्रल कॉर्टेक्स' पतला हो जाता है। 'सेरेब्रल कॉर्टेक्स' एक परत है, जो दिमाग के बाहरी हिस्से को ढंकती है। इसके पतला होने से दिमाग की सोचने, याद रखने जैसी क्षमताएं प्रभावित हो जाती हैं।
इससे पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया के करीब एक तिहाई निम्न आय वाले देशों को मोटापे और कुपोषण की दोहरी मार से जूझना पड़ रहा है। ऐसा खाद्य प्रणाली में हुए बदलावों की वजह से हो रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार कुछ वर्षों से निम्न आय वाले देशों में सुपरमार्कीट बढ़ गए हैं और ताजा खाद्य बाजार खत्म होने लगे हैं, जिससे स्थिति और खराब हुई है।
एक्सपर्ट का कहना है कि आजकल फ्रैश खाने की बजाए जंक फूड्स और पैक्ड फूड पर बच्चे ज्यादा जोर दे रहे हैं। मोटापे के चलते हाई ब्लड प्रेशर, गैस्ट्रिक प्रॉब्लम्स, डायबिटीज जैसी बीमारियों हो ही रही हैं। ऐसे में रिपोर्ट की मानें तो अब मोटापा दिमाग को भी खा रहा है। ऐसे में अभिभावकों और बच्चों दोनों को सतर्क होने न्यूट्रिशनल खाना खाने और व्यायाम करने की सख्त जरूरत है।