नाक में उंगली डालने की आदत देती है इस गंभीर बीमारी का संकेत: Study
punjabkesari.in Thursday, Feb 08, 2024 - 11:04 AM (IST)
नाक में उंगली डालने को आम तौर पर लोग सिर्फ एक गलत आदत मान लेते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी यह आदत आपको बीमार भी कर सकती है। मेडिकल टर्म में नाक में उंगली डालने को राइनोटिलेक्सोमनिया कहा जाता है। अब हाल ही में की गई रिसर्च के बारे में सुनकर आप थोड़े हैरान हो सकते हैं। इस रिसर्च में पाया गया है कि नाक में उंगली डालने की आदत से आपको अल्जाइमर का खतरा हो सकता है। इसके अलावा सूंघने की शक्ति खो बैठने को अल्जाइमर्स रोग का शुरुआती संकेत ही माना जाता है।
वैज्ञानिकों ने किया दावा
सिडनी के वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग बार-बार अपनी नाक साफ करते रहते हैं उनमें अल्जाइमर रोग विकसित होने का खतरा ज्यादा हो सकता है। हालांकि अभी तक अल्जाइमर का सही कारण पता नहीं चल पाया है लेकिन मरीजों के दिमाग में ताऊ नाम के प्रोटीन का जमाव पाया गया है जो कि इम्यूनिटी पॉवर से जुड़ा होता है। हाल के अध्ययनों से यही पता चला है कि कम से कम कुछ हद तक न्यूरोइंफ्लेमेशन इसके कारण हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया के वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में अनुमान लगाया कि अल्जाइमर में न्यूरोइंफ्लेमेशन के कारण आंशिक रुप से वायरल, बैक्टीरियल और फंगल रोगजनक हो सकते हैं जो नाक और घ्राण प्रणाली ( जिससे शरीर को गंध का पता लगता है) के जरिए मस्तिष्क में प्रवेश करता है।
अल्जाइमर की हो सकती है शुरुआत
बार-बार नाक साफ करना जिसको राइनोटिलैक्सोमेनिया के रुप में जाना जाता है। इससे नाक में कीटाणु प्रवेश करते हैं जिससे मस्तिष्क में सूजन पैदा होती है इसे अल्जाइमर रोग की शुरुआत के साथ वैज्ञानिकों ने जोड़ा है। शोधकर्ताओं ने इस दौरान पाया कि नाक में कीटाणु ज्यादा होने के कारण हल्के मस्तिष्क संक्रमण का स्त्रोत हो सकते हैं। वहीं शोधकर्ताओं का कहना है कि किसी भी तरह का इंफेक्शन बिना किसी लक्षण के मौजूद हो सकता है लेकिन इसके कारण सूजन पैदा हो सकती है और हानिकारक प्रोटीन के प्लाक को भी यह पीछे छोड़ सकते हैं जिससे अल्जाइमर सहित न्यूरोडिजेनेरेटिव रोगों बढ़ सकते हैं।
ब्रेन में पहुंच सकते हैं बैक्टीरिया
इस रिसर्च के अनुसार, नाक में उंगली डालने से अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नाक में उंगली डालने से कई रोगजनक आपके दिमाग में बीटा एमिलॉइड के प्रोडक्शन को ट्रिगर कर सकते हैं। ज्यादातर डिमेंशिया रोगियों के ब्रेन में भी यही बैक्टीरिया पाया गया है। बीटा-एमिलॉइड अल्जाइमर से जुड़े न्यूरोइंफ्मेशन में योगदान देता है। रिसर्च में यह बात पाई गई है कि बैक्टीरिया नाक की नली से होता हुआ चूहों के ब्रेन में पहुंच गया। इस बैक्टीरिया के कारण से अल्जाइमर का संकेत मिला है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि अल्जाइमर के खतरे को कम करने के लिए नाक की सफाई बनाए रखना जरुरी है।
किस तरह करें बचाव?
शोधकर्ताओं का मानना है कि अल्जाइमर की रोकथाम लाइफस्टाइल पर निर्भर करती है। दिमाग में रोगजनकों को प्रवेश के जोखिम को कम करने के लिए नमक वाले पानी से कुल्ला करना या नाक को साफ करना जैसी आदतों को शामिल करें। इसके अलावा हाथों को सैनेटाइज करते रहें, दिमाग में प्रवेश करने वाली बैक्टीरिया अमाइलॉइड बीटा जमाव के कारण बनते हैं हालांकि इस पर अभी रिसर्च जारी है।