नवरात्रि स्पेशलः देवी मां को बेहद प्रिय हैं 'जौ', इसके रंग में छिपा है भविष्य का संकेत

punjabkesari.in Wednesday, Sep 28, 2022 - 12:17 PM (IST)

देश भर में देवी मां की भक्ति का माहौल छाया हुआ है। इन नौ दिनों में माता रानी के नौ रूपों की बड़े ही विश्वास और भक्ति भावना से पूजा की जाती है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर हर घर में ज्वारे यानी 'जौ' बोई जाती है। म‍िट्टी के बर्तन में जौ बोने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि आखिर नवरात्रि के दौरान जौ क्यों बोया जाता है और यह मां को इतना प्रिय क्यों है।

 

पूरे विधि-विधान से बोए जाते हैं जौ

मान्यता है कि धरती की रचना के बाद जो सबसे पहली फसल उगाई गई थी, वह जौ थी। धर्मग्रंथों में जौ को ब्रह्म भी माना जाता है। कहा जाता है कि जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की तो उस वक्त की पहली वनस्पति 'जौ' थी।  सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन हुई थी। यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के लिए पूरे विधि-विधान से जौ बोए जाते है।

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जौ को माना जाता है भगवान विष्णु का प्रतीक

धार्मिक मान्यता के मुताबिक जौ भगवान विष्णु का प्रतीक है, इसलिए घट स्थापना के लिए सबसे पहले जौ की पूजा की जाती है। साथ ही उसके ऊपर कलश स्थापित किया जाता है। आदिकाल से पूजा-पाठ में हवन के दौरान जौ को आहुति देने की परंपरा चली आ रही है।  पूजा-पाठ में इसका सम्‍मान करने का अर्थ है कि हमें अन्‍न यानी कि जो ब्रह्म स्‍वरूप है उसका सम्‍मान करना चाहिए। 

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जौ के रंग से मिलते हैं ये संकेत

अगर नवरात्रि में जौ बोने के कुछ ही समय बाद उगने लगे या जल्दी हरी-भरी होने लगे तो ये बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है। इसका अर्थ हाेता है  कि माता ने आपकी पूजा स्वीकार कर ली है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु को माता पार्वती का भाई माना जाता है क्योंकि उनके और भगवान  शिव के विवाह में माता की ओर से भाई के द्वारा निभाए जाने प्रत्येक रस्म को भगवान  विष्णु ने ही निभाया था। यही वजह है कि जौ अगर हरा भरा रूप लेती है तो न सिर्फ माता रानी की कृपा होती है बल्कि भगवान विष्णु का भी असीम आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

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ये संकेत माने जाते हैं अशुभ 

नवरात्री के पहले दिन बोई गई जौ अगर सही से नहीं बढ़ रही है, और सूखकर झड़ रही है तो इसे शुभ संकेत नहीं मानते हैं। इस संकेत का अर्थ होता है कि आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां आने वाली हैं। अगर जौ सफ़ेद रंग के और सीधे उगे हो तो इसे शुभ माना जाता है. अगर जौ काले रंग के टेढ़े–मेढ़े उगते है तो अशुभ माना जाता है।  अगर जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला हो वर्ष की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। 

आखिर में तालाब में प्रवाहित किए जाते हैं जौ

नवरात्रि के दिनों में लगभग हर घर, मंदिर और अन्य पूजा स्थलों पर मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं। साथ ही रोजाना मां दुर्गा की पूजा से पहले इसमें जल अर्पित किया जाता है। नवरात्रि के आखिरी दिनों में यह हरा-भरा दिखने लगता है। नवरात्रि के समापन पर इसे किसी पवित्र किसी या तालाब में प्रवाहित कर दिया जाता है। 
 


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Content Writer

vasudha

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