Navratri 2025: सातवें दिन मां कालरात्रि की  जरूर पढ़ें ये कथा

punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 10:04 AM (IST)

नारी डेस्क:  29 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा होगी। मां कालरात्रि असुरी शक्तियों और हर काल से रक्षा करने वाली शक्ति हैं। सातवें दिन की पूजा अंधकारमय परिस्थितियों के विनाश और संकट से मुक्ति दिलाने वाली मां कालरात्रि के रूप में होती है। यह रूप विकराल और काला होने के कारण ‘कालरात्रि’ कहा जाता है। देवी भागवत पुराण में इन्हें मां काली का स्वरूप भी माना गया है।

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मां कालरात्रि से जुड़ी कथा

दुर्गा सप्तशती में उल्लेख मिलता है कि महिषासुर और अन्य राक्षसों के वध के समय मां भद्रकाली का रूप लिया गया। कथा के अनुसार, शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नामक राक्षसों ने तीनों लोक में आतंक मचा रखा था। सभी देवतागण इस समस्या का समाधान पाने के लिए महादेव के पास गए। महादेव ने माता पार्वती से कहा कि शुंभ-निशुंभ का अंत करें। तब देवी ने दुर्गा रूप धारण कर राक्षसों का संहार किया। रक्तबीज को वर प्राप्त था कि उसकी बूंद धरती पर गिरते ही उसका समान राक्षस जन्म लेगा। इसे रोकने के लिए माता दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि रूप धारण किया। उन्होंने रक्तबीज के रक्त को गिरने से पहले अपने मुंह में भर लिया, जिससे उसका संहार हो गया। मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहा जाता है। यह नाम इसलिए है क्योंकि जहां वह असुरों का संहार करती हैं, वहीं अपने भक्तों के जीवन को सुख, समृद्धि और शुभता से भर देती हैं।

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आज के दिन गुड़ का भोग लगाकर मां कालरात्रि की पूजा करना चाहिए। यह पूजा न केवल संकट से मुक्ति दिलाती है बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा भी प्रदान करती है।  

ऐसा है मां का स्वरुप 

मां कालरात्रि देखने में बहुत ही भयंकर हैं परंतु उनका हृदय बहुत ही कोमल हैं। मां की नाक से आग की  भयंकर लपटें निकलती हैं। मां की सवारी गधा है। मां का दायां हाथ हमेशा ऊपर की ओर उठा होता है जिसका अर्थ है कि वह सबको आशीर्वाद दे रही हैं। वहीं मां कालरात्रि के निचले दाहिने हाथ की मुद्रा भक्तों के भय को दूर करती है। मां के बाएं हाथ में लोहे का कांटेदार अस्त्र है निचले बाएं हाथ में कटार है।

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Content Editor

Priya Yadav

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