Navratri 2025: अंतिम दिन माता को चढ़ाएं ये एक चीज, उनकी कृपा से बदल जाएगी किस्मत
punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 05:30 PM (IST)

नारी डेस्क: शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन का महत्व बहुत बड़ा माना जाता है। यह वह समय है जब मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना पूर्ण होती है और साधक को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मार्कंडेय पुराण में भी उल्लेख मिलता है कि इन दिनों में किया गया व्रत, जप और पूजा-पाठ साधारण दिनों से करोड़ों गुना अधिक फलदायक होता है। विशेष रूप से नवरात्रि के इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से कार्य सिद्धि और शत्रु नाश होता है।
दुर्गा सप्तशती के पाठ का सही क्रम
हरिद्वार के धर्माचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का एक निश्चित क्रम है। यदि यह क्रम सही ढंग से न किया जाए, तो साधक को नाम मात्र का ही लाभ मिलता है। सही क्रम इस प्रकार है सबसे पहले देवी को नमन और प्रणाम। देवी कवच का पाठ। अर्गला स्तोत्र का पाठ। कीलक स्तोत्र का पाठ। यह क्रम साधक को न केवल सुरक्षित करता है, बल्कि उसे देवी की अमोघ कृपा भी दिलाता है।
देवी कवच का महत्व
दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले देवी कवच का पाठ करना आवश्यक है। शास्त्रों के अनुसार, इससे साधक के चारों ओर एक अदृश्य शक्ति का कवच बन जाता है। यह कवच साधक को नकारात्मक शक्तियों, बाधाओं और दुश्मनों से बचाता है। कवच के प्रभाव से साधक निर्भय होकर पूजा-पाठ में ध्यान लगा सकता है।
अर्गला स्तोत्र से मिलती है विजय
देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। अर्गला स्तोत्र को विजय का मंत्र माना गया है। इसका नियमित पाठ साधक को शत्रुओं पर विजय दिलाता है, कार्यों में सफलता प्रदान करता है और जीवन की बाधाओं को दूर करता है। यह स्तोत्र साधक के आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति को भी कई गुना बढ़ा देता है।
कीलक स्तोत्र क्यों है आवश्यक?
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि अर्गला स्तोत्र के बाद कीलक स्तोत्र का पाठ करना बेहद जरूरी है। इसके बिना मंत्रों की सिद्धि अधूरी रहती है। कीलक स्तोत्र सभी मंत्रों को सिद्ध करता है और साधक को करोड़ों गुना अधिक लाभ देता है। इसका पाठ करने से देवी दुर्गा की अमोघ शक्ति साधक को प्राप्त होती है।
कीलक स्तोत्र के अद्भुत फल
धर्मशास्त्रों के अनुसार, कीलक स्तोत्र का पाठ करने से कई चमत्कारी लाभ मिलते हैं शत्रुओं का नाश होता है। भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। टोना-टोटका और बुरी नजर का प्रभाव समाप्त हो जाता है। साधक को मानसिक शांति और आत्मबल प्राप्त होता है। सभी मंत्र सिद्ध होकर संपूर्ण फल प्रदान करते हैं। यह स्तोत्र इतना शक्तिशाली है कि इसे देवी-देवताओं के लिए भी दुर्लभ बताया गया है।
नवरात्रि का अंतिम दिन साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि इस दिन देवी कवच, अर्गला स्तोत्र और कीलक स्तोत्र का सही क्रम से पाठ किया जाए, तो साधक को अमोघ फल मिलता है। यह उपाय न केवल शत्रु नाश करता है, बल्कि जीवन की हर समस्या को दूर करके साधक को देवी मां की अपार कृपा दिलाता है।