'अनाथों की मां' सिंधुताई सपकाल का निधन, दिल का दौरा पड़ने से कहा दुनिया को अलविदा
punjabkesari.in Wednesday, Jan 05, 2022 - 10:13 AM (IST)
सिंधुताई सपकाल, जिन्हें 'अनाथंची माई' या 'अनाथों की मां' के नाम से जाना जाता है, मंगलवार रात 8.10 बजे दुनिया को अलविदा कह गई। पुणे के एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए मंजरी आश्रम में रखा जाएगा। बुधवार दोपहर करीब 12 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गैलेक्सी केयर अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ शैलेश पुंतंबेकर ने कहा कि मंगलवार को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। गौरतलब है कि पिछले साल 24 नवंबर को उनकी एक बड़ी डायाफ्रामिक हर्निया की सर्जरी हुई थी, जिससे वह ठीक हो गई थी। मगर, करीब एक हफ्ते पहले उनके फेफड़ों में संक्रमण हो गया था।
सिंधुताई को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "सिंधुताई सपकाल को समाज के लिए उनकी नेक सेवा के लिए याद किया जाएगा। उनके प्रयासों के कारण, कई बच्चे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सके। उन्होंने हाशिए के समुदायों के बीच भी बहुत काम किया। उनके निधन से आहत हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। शांति।"
Dr. Sindhutai Sapkal will be remembered for her noble service to society. Due to her efforts, many children could lead a better quality of life. She also did a lot of work among marginalised communities. Pained by her demise. Condolences to her family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/nPhMtKOeZ4
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2022
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डॉ. सिंधुताई सपकाल के निधन पर शोक जाहिर करते हुए कहा, "डॉ सिंधुताई सपकाल का जीवन साहस, समर्पण और सेवा की प्रेरक गाथा था। वह अनाथों, आदिवासियों और हाशिए के लोगों से प्यार करती थी और उनकी सेवा करती थी। 2021 में पद्म श्री से सम्मानित, उन्होंने अविश्वसनीय धैर्य के साथ अपनी कहानी खुद लिखी। उनके परिवार और अनुयायियों के प्रति संवेदना।"
The life of Dr Sindhutai Sapkal was an inspiring saga of courage, dedication and service. She loved & served orphaned, tribals and marginalised people. Conferred with Padma Shri in 2021, she scripted her own story with incredible grit. Condolences to her family and followers. pic.twitter.com/vGgIHDl1Xe
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 4, 2022
उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के लिए 750 से अधिक पुरस्कार मिले थे। उन्हें 2021 में पद्मश्री और 2010 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 74 वर्षीय सैकड़ों 1,000 से अधिक अनाथों, परित्यक्त और निराश्रित बच्चों को गोद लिया था। इसके साथ ही वह महिलाओं के पुनर्वास के लिए अपने काम के लिए जानी जाती थीं।
2010 में, सपकाल की एक मराठी बायोपिक, जिसका शीर्षक एमआई सिंधुताई सपकाल बोल्टे था, महाराष्ट्र में रिलीज हुई थी। बायोपिक में सिंधुताई की भूमिका निभाने वाली तेजस्विनी पंडित ने कहा, "... मेरे लिए वह अभी भी जीवित हैं।" सिंधुताई के जीवन पर आधारित फिल्म के निर्देशक अनंत महादेवन ने एक समाचार चैनल को बताया, "मैं उनकी मौत को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा हूं... वह सबकी माई थीं... एक फरिश्ता (परी)..."।"