किसके इंतजार में कुंवारी बैठी हैं माता वैष्णो देवी, भगवान राम से क्या है उनका नाता? यहां पढ़िए पूरी कहानी
punjabkesari.in Wednesday, Sep 24, 2025 - 10:37 AM (IST)

नारी डेस्क: शारदीय नवरात्र के पावन पर्व पर श्री माता वैष्णो देवी के दरबार में भक्तों का तांता लगा हुआ है। देश- विदेश से भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। वैष्णो देवी के शक्तिपीठ को सबसे दिव्य माना गया है। पर क्या आप जानते हैं कि मां वैष्णो देवी का जन्म कैसे हुआ था। मां वैष्णो देवी की कथा श्रद्धा और भक्ति से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि मां दुर्गा के ही अवतार के रूप में त्रेतायुग में मां वैष्णो देवी ने धरती पर जन्म लिया।

ब्राह्मण के घर पैदा हुई थी माता वैष्णो देवी
ऐसी मान्यता है कि त्रेतायुग में रत्नाकर नामक एक श्रद्धालु ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम सुधा था। दोनों बहुत धार्मिक थे लेकिन संतानहीन होने के कारण दुखी रहते थे। वे रोज़ भगवान से प्रार्थना करते और व्रत-उपवास करते। एक दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर प्रकट हुए। भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया –“तुम्हारे घर स्वयं महाशक्ति का अंश जन्म लेगी, जो लोक कल्याण का कार्य करेगी।”
भगवान श्रीराम ने मां से किया था वादा
देवी के जन्म से एक रात पहले, रत्नाकर ने वचन लिया कि बालिका जो भी चाहे वे उसकी इच्छा के रास्ते में कभी नहीं आएंगे। जब सुधा ने एक कन्या को जन्म दिया तो उनका नाम त्रिकुटा रखा गया। यही त्रिकुटा आगे चलकर मां वैष्णो देवी के नाम से विख्यात हुईं।त्रिकुटा छोटी उम्र से ही ईश्वर-भक्ति में लीन रहती थीं। वे दिन-रात ध्यान और तपस्या करती थीं। उन्होंने भगवान विष्णु को पति रूप में पाने का संकल्प लिया। जब भगवान राम वनवास के समय वहां पहुंचे, तब त्रिकुटा ने उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा जताई। श्रीराम ने कहा कि वे तो पहले से ही सीता को पत्नी रूप में स्वीकार कर चुके हैं, लेकिन कलियुग में जब वे विष्णु के कल्कि अवतार के रूप में आएंगे, तब वे उन्हें स्वीकार करेंगे। तब तक त्रिकुटा को कठोर तपस्या करने और संसार का कल्याण करने का आदेश दिया।

वैष्णो देवी की गुफा
भगवान राम ने उन्हें त्रिकुटा पर्वत पर तपस्या करने का निर्देश दिया। यहीं त्रिकुटा ने ध्यान लगाया और अपनी दिव्य शक्तियों से लोगों के दुःख दूर किए। समय के साथ यही पर्वत त्रिकुटा पर्वत कहलाया और माता यहां वैष्णो देवी नाम से पूजित हुईं। कहा जाता है कि मां वैष्णो देवी अदृश्य रूप में भगवान कल्कि अवतार का इंतजार कर रही हैं, जो कलियुग में भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होंगे और माता वैष्णो से विवाह करेंगे। जो भी सच्चे मन से मां वैष्णो देवी के दरबार में जाता है, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि कटरा से 14 किलोमीटर की यात्रा कर भक्त मां की गुफा तक पहुंचते हैं और माता के तीन पिंडियों (महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती) के दर्शन करते हैं।